होम लोन के अलावा कार लोन, पर्सनल लोन या कोई अन्य लोन बैंक से लेने पर उसका ब्याज चुकाना पड़ता है। आप अपनी सुविधा के अनुसार EMI में थोड़ा-थोड़ा करके लोन चुका सकते हैं।
ज्यादातर होम लोन लंबे समय के लिए होते हैं। अगर किसी वजह से एक भी ईएमआई बाउंस हो जाए यानी देने में लेट हो जाए तो मुश्किलें बढ़ सकती है।
अगर होम लोन की पहली EMI समय पर देने से चूक जाते हैं, एक-दो दिन या ज्यादा लेट हो जाए तो बैंक इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता और इसे चूक मान लेता है।
अगर होम लोन की दूसरी ईएमआई भी देने में लेट हो जाए या मिस हो जाए तो बैंक आपको नोटिस करता है और इसे भरने का रिमाइंडर देता है।
होम लोन की लगातार तीसरी ईएमआई भी अगर समय पर नहीं देते हैं, तब बैंक की ओर से आपको एक लीगल नोटिस भेजा जाता है। इसके बाद भी अगर किस्त नहीं भरते हैं तो आप डिफॉल्टर हो सकते हैं।
किस्त न भरने के 90 दिनों बाद बैंक लोन अकाउंट को एनपीए मान लेता है। आखिरी विकल्प नीलामी होता है। एनपीए घोषित होने के तुरंत बाद प्रॉपर्टी नीलाम नहीं होती।
बैंक एक समय के बाद आपके घर की नीलामी कर सकता है। इससे पहले बैंक को पब्लिक नोटिस जारी करना पड़ता है। इसमें प्रॉपर्टी की कीमत, रिजर्व प्राइस, तारीख और समय लिखा होता है।
नियम कहता है कि अगर बॉरोअर यानी लोन लेने वालों को लगता है कि उसके असेट की कीमत बैंक ने कम रखी है तो वह इस नीलामी को चुनौती भी दे सकता है।