खराब क्रेडिट स्कोर का मतलब है कि आपकी लोन चुकाने की हिस्ट्री सही नहीं है। ऐसे में बैंक को लगता है कि आपको कर्ज देना डिफॉल्ट होने का रिस्क, ऐसे में रिक्वेस्ट रिजेक्ट कर देते हैं।
बैंक में लोन एप्लीकेशन देते समय अगर आप अपनी जानकारी सही-सही नहीं भरते हैं या जानकारी आधी-अधूरी है तो बैंक आपकी रिक्वेस्ट को कैंसिल कर सकती है। इसलिए ध्यान से आवदेन भरें।
अगर आप बार-बार और जल्दी जल्दी नौकरी बदल देते हैं तो आपको लोन लेने में दिक्कत आ सकती है। बैंक को लगता है कि आपकी नौकरी परमानेंट नहीं है और आपको लोने देने में रिस्क है।
ऐसा कोई नियम नहीं है लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक,किसी कंपनी में कम से कम 1 साल नौकरी कर रहे हैं, तो बैंक आपको पर्सनल लोन दे सकते हैं। बिजनेस में दो साल बाद पर्सनल लोन ले सकते हैं।
बैंक लोन देते समय आपकी इनकम देखते हैं। इससे पता चलता है कि आप लोन चुका पाएंगे या नहीं। पर्सनल लोन के लिए कम से कम 15,000 की सैलरी होनी चाहिए। बिजनेस करने वालें के लिए 5 लाख सालाना।
बेरोजगारों को भी लोन देने में बैंक हिचकिचाते हैं। इसे वो जोखिमभरा मानते हैं। इसलिए अगर इनकम और लोन की राशि में तालमेल नहीं होता तो लोन रिक्वेस्ट को बैंक रिजेक्ट कर देते हैं।
लोन देने से पहले बैंक DTI रेश्यो (डेट टू इनकम रेश्यो) देखते हैं। पहले से चल रहे लोन को जोड़कर सैलरी से डिवाइड कर DTI रेश्यो निकाला जाता है। यह जितना कम होगा, लोन आसानी से मिलेगा
आमतौर पर बैंक 36 परसेंट से कम डीटीआई रेश्यो को अच्छा मानते हैं। इससे ज्यादा होने पर लोन मिलने में परेशानी आ सकती है। इसलिए भी लोन रिक्वेस्ट रिजेक्ट हो सकती है।
अगर आप एक साथ कई बैंक या संस्थानों में लोन अप्लाई करते हैं तो भी आपकी रिक्वेस्ट रिजेक्ट हो सकती है। ऐसे में बैंक को लगता है कि आप किसी भी हालत में लोन पाना चाहते हैं।