इमरजेंसी में पर्सनल लोन बड़ी ही आसानी से मिल जाता है। इस लोन के लिए कोलैटरल की जरूरत नहीं पड़ती है। मतलब कुछ गिरवी नहीं रखना पड़ता है।
पर्सनल लोन के लिए कुछ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया होते हैं। इनमें सैलरी या इनकम, उम्र, क्रेडिट स्कोर और अन्य फैक्टर्स शामिल हैं, जो बैंक या NBFC तय करते हैं।
20 हजार रुपए सैलरी पर पर्सनल लोन मिलना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, कई बैंक या एनबीएफसी कम सैलरी पर भी पर्सनल लोन ऑफर करते हैं। वे सैलरी के अलावा कई अन्य फैक्टर्स को देखते हैं।
एक गारंटर या को-एप्लीकेंट के साथ पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करने से आपकी प्रोफाइल मजबूत होगी और कम सैलरी पर भी पर्सनल लोन मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
अगर आपकी सैलरी कम है और समय पर अपने बिल और लोन चुका रहे हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा रहेगा। इससे पर्सनल लोन अप्रूवल की संभावना ज्यादा हो सकती है।
सैलरी के अलावा अगर अल्टरनेट इनकम सोर्स से पैसा कमा रहे हैं तो इसे साबित करके आप बैंक को बता सकते हैं कि आप लोन चुकाने में सक्षम हैं और डिफॉल्ट का रिस्क नहीं है।
कम सैलरी पर 5 लाख का लोन मंथली बजट बिगाड़ सकता है। इससे EMI चुकाने में दिक्कतें आती हैं। पहले से चल रहे लोन के बावजूद नया लोन DTI रेश्यो बढ़ सकता है, जो क्रेटिड स्कोर बिगाड़ देगा।
कम सैलरी होने पर अगर आप पर्सनल लोन लेने जाते हैं तो बैंक या वित्तीय संस्थान इसके लिए ज्यादा ब्याज ले सकते हैं। जिससे इसकी ईएमआई भी ज्यादा आएगी। इसे चुकाना मुश्किल हो सकता है।
कम सैलरी का मतलब है कि आपकी इनकम अस्थिर है। इससे पर्सनल लोन का आवेदन रिजेक्ट हो सकता है। इसका असर क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ सकता है।