अगर होम लोन पर ब्याज कम देना चाहते हैं तो प्री-पेमेंट का ऑप्शन चुन सकते हैं। इससे मूलधन कम होता है और ब्याज में कमी आती है।
होम लोन का प्री-पेमेंट करते समय पता कर लें कि आपका बैंक या होम लोन प्रोवाइडर प्रीपेमेंट के लिए कोई चार्ज या फाइन तो नहीं लेता है, इससे ज्यादा भुगतान से बच जाएंगे।
लंबी अवधि वाले होम लोन की ब्याज दर बैंक ज्यादा वसूलते हैं। ऐसे में अगर आपकी फाइनेंशियल कंडिशन ठीक है तो हमेशा कम अवधि का लोन ही चुनें, इससे कम ब्याज में रीपेमेंट तेज होगा।
अगर आपकी फाइनेंशियल कंडिशन ठीक है तो अपनी मंथली EMI 5 प्रतिशत बढ़ाने या 1 साल में एक से ज्यादा EMI भर सकते हैं। इससे चुकाए गए ब्याज की राशि में कमी आएगी।
ऐसा करने से पहले अपनी वित्तीय जरूरतों का अनुमान लगाएं, होम लोन EMI कैलकुलेट करें, सैलरी ग्रोथ या सालाना बोनस में कितनी ज्यादा ईएमआई भर सकते हैं, इस पर ध्यान दें, इससे काफी असर होगा
मार्केट में होम लोन की ब्याज दर पर फोकस बनाए रखें। इससे पता चलता है कि क्या बैंक कम ब्याज ऑफर कर रहे हैं। इससे रीफाइनेंस या होम लोन बैलेंस ट्रांसफर विकल्प चुनने में हेल्प होती है।
इससे ब्याज का बोझ कम हो सकता है। पुराने बैंक से कम दर पर बकाया मूल राशि दूसरे बैंक को ट्रांसफर कर सकते हैं। ब्याज पर बचत और आर्थिक जिम्मेदारियां मैनेज करने में मदद मिल सकती है।
घर खरीदते समय अगर होम लोन ले रहे हैं तो कुल कीमत का कम से कम 20 फीसदी डाउन पेमेंट करने की कोशिश करें। आपकी यह कोशिश रहनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा डाउन पेमेंट हो जाए।
ज्यादा से ज्यादा अमाउंट डाउन पेमेंट करने से लोन अमाउंट कम हो सकता है। जिससे कम ब्याज देना पड़ सकता है। इससे होम लोन तेजी से भर सकते हैं।