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कुंभ नहाने के बदले पैसे, मुंडन-गौदान पर टैक्स, पढ़ें Historical Facts

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प्रयागराज महाकुंभ 2025 का आगाज

प्रयागराज महाकुंभ का आगाज हो चुका है। सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। 45 दिन तक चलने वाले इस आयोजन को लेकर गजब का उत्साह है।

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महाकुंभ में कल्पवास का समय

आज, 13 जनवरी से 45 दिनों का कल्पवास शुरू हो गया है। तीर्थयात्रियों के लिए 12 किलोमीटर तक स्नान घाट बनाए गए हैं। वाहनों की एंट्री बंद होने से श्रद्धालुओं को पैदल ही चलना पड़ रहा है।

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महाकुंभ में विदेशी श्रद्धालु

इस बार महाकुंभ में विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। आध्याम की दुनिया में आस्था की डुबकी लगाने एपल को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल महाकुंभ आ चुकी हैं।

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कुंभ में नहाने के बदले लगता था टैक्स

इतिहासकारों के अनुसार, 1801 में जब इलाहाबाद पर अंग्रेजों का अधिकार हुआ। तब कुंभ-माघ मेले में आने वाले लोगों से अंग्रेज टैक्स लेते थे। हर तीर्थ यात्री से एक रुपए टैक्स लिया जाता था।

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कुंभ में मुंडन कराने पर वसूली

1906 में जिला मजिस्ट्रेट एचवी लॉवेट की कुंभ मेले पर बनी एक रिपोर्ट के अनुसार, 1894 के कुंभ में मुंडन करने वाले नाइयों से करीब 11,825 रु, दाढ़ी बनाने वालों से 1,332 रु वसूले गए थे।

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कुंभ में माली और फेरीवालों से वसूली

इस रिपोर्ट के अनुसार, तब कुंभ में फूल बेचने वालों से 1,600 रुपए, नाव वालों ने 3,311 रुपए, फेरीवालों से 1,440 रुपए और बैलगाड़ी चलाने वालों से 1,874 रुपए वसूले गए थे।

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कुंभ में गौदान पर भी लगता था टैक्स

एचवी लॉवेट ने रिपोर्ट में बताया कि साल 1894 के कुंभ में गौदान पर 176 रुपए और बछड़ों के दान पर 976 रुपए टैक्स लिया गया था। 1906 के कुंभ में भी गाय दान करने पर 152 रुपए लिए गए थे।

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