भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार 7वीं बार ब्याज दरों बदलाव नहीं किया है। ब्याज दर 6.5% पर जस का तस रखा है। मतलब अब लोन महंगे नहीं होंगे और EMI भी नहीं बढ़ेगी।
RBI के पास महंगाई से लड़ने का सबसे पावरफुल टूल रेपो रेट है। महंगाई ज्यादा होने पर रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो कम करने की कोशिश की जाती है।
रेपो रेट ज्यादा होने से बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज महंगा होता है। बदले में बैंक ग्राहकों को महंगा लोन देंगे। इससे मनी फ्लो कम होता है और डिमांड घटती है, जिससे महंगाई भी घटेगी
जब इकोनॉमी बुरे दौर में होती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत होती है। तब RBI रेपो रेट कम कर बैंकों को सस्ता कर्ज देता है, जिससे ग्राहकों को सस्ता लोन मिलता है।
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। RBI के रेपो रेट घटाने पर बैंक भी ब्याज दरें कम कर देते हैं। इसी तरह जब रेपो रेट बढ़ता है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश की अर्थव्यस्था 7 फीसदी से बढ़ेगी। इससे विकास को रफ्तार मिलेगी।
गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि वित्त वर्ष 2025 के पहली तिमाही में GDP की रियल ग्रोथ 7.1%, दूसरी तिमाही में 6.9% और तीसरे-चौथे तिमाही में 7% रहने का अनुमान है।