लोन लेने का तरीका 1 अक्टूबर, 2024 से बदल जाएगा। रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी बैंकों और NBFC को नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि ग्राहक को दिए गए लोन पर अब ज्यादा क्लीयरिटी रखनी होगी।
लोन देने क्लीयरिटी बैंक की ओर से की-फैक्ट स्टेटमेंट (KFS) जारी करेंगे। यह लोन की कुल लागत को सिंपल तरीके से कस्टमर्स को बताएगा। नए नियम से लोन लेने पर वास्तविक लागत पता चलेगा।
अभी बैंक लोने लेने पर प्रोसेसिंग फीस और ब्याज दर के अलावा कोई भी जानकारी कस्टमर्स को नहीं देते हैं, 1 अक्टूबर से इसी से छुटकारा मिल जाएगा।
RBI की अप्रैल MPC मीटिंग के बाद कहा गया कि बैंकों को अब लोन लेने वाले कस्टमर्स को एनुअलाइज्ड पर्सेंटेज रेट (APR) यानी लोन की लागत बताना होगा, इससे कस्टमर्स को लागत का पता चलेगा।
ग्राहक को नए नियम से लोन की वास्तविक लागत का पता चल सकेगा। इसका मकसद बैंकिंग प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाना और कस्टमर्स को सही जानकारी पहुंचाना है।
बैंक जो KFS जारी करेंगे, उसमें लोन से जुड़ी सभी डिटेल्स दी जाएंगी। इससे ग्राहक आसानी से समझ सकेंगे कि उन्हें यह लोन कितना महंगा पड़ रहा है। बैंक सभी शुल्क और चार्जेज इसमें बताएंगे
केएफएस में दी जानकारी से अलावा बैंक कोई भी हिडन चार्जेज वसूल नहीं सकेंगे। इसमें ब्याज, प्रोसेसिंग फीस जैसे बैंकों की तरफ से ली जा रही सभी फीस-चार्ज बताए जाएंगे।
RBI ने नोटिफिकेशन में कहा कि सभी बैंक लोन लेने वाले कस्टमर्स को एनुअलाइज्ड पर्सेंटेज रेट (APR) की जानकारी देंगे। APR का मतलब लोन पर सालाना कितनी लागत आनी है।
एपीआर में इंश्योरेंस चार्ज, लीगल चार्ज जैसे बैंक की तरफ से से लिए जा रहे अन्य फीस जैसी डिटेल्स शामिल है। APR में लोन का पूरा कैलकुलेशन के साथ इसे चुकाने का पीरियड भी दिया रहता है