एएमएफआई (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, 7 साल पहले SIP के जरिए मंथली कंट्रीब्यूशन 3 हजार करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 16 हजार करोड़ रुपये महीना से भी ज्यादा हो चुका है।
SIP के जरिये लोगों को सही तरीके से पैसा इन्वेस्ट करने की प्लानिंग में हेल्प मिलती है। वैसे, एसआईपी के कई फायदे हैं, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
निवेश से पहले अपना फाइनेंशियल गोल सेट करें। यानी आपको ये मालूम होना चाहिए कि आप पैसा लॉन्ग टर्म या फिर शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं।
इसके साथ ही SIP से पहले अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का आंकलन जरूर करें। मसलन, SIP में अगर रिटर्न ज्यादा है तो काफी हद तक रिस्क भी रहता है।
SIP से पहले ये तय कर लें कि आपका पोर्टफोलियो डायवर्स हो। मतलब उसमें अलग-अलग कैटेगरी के म्युचुअल फंड्स वाली SIP होनी चाहिए। इसमें ग्रोथ, बैलेंस, डेट तीनों कैटेगरी वाली एसआईपी हों।
किसी भी SIP में पैसे लगाने से पहले उस म्युचुअल फंड स्कीम और फंड हाउस के बारे में अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें। साथ ही फंड मैनेजर कौन है, इस बारे में भी पता कर लें।
इसके साथ ही उस फंड हाउस का एक्सपेंस रेशियो जरूर चेक करें। अगर एक्सपेंस रेशियो ज्यादा है, तो इस तरह के म्युचुअल फंड में पैसा लगाने से बचें। इससे आपका खर्च ज्यादा होगा।
म्युचुअल फंड में SIP करने से पहले ये ध्यान रखें कि हर एक फंड में एंट्री और एग्जिट लोड होता है। मतलब अगर आप सालभर से पहले पैसा निकालते हैं तो उस पर कुछ चार्ज कटता है।