जी-20 में कुल 20 देश हैं। इन्हीं का यह समूह है। 1999 में एशिया में आर्थिक संकट आने के बाद इस तरह के फोरम बनाने पर विचार किया गया था।
2007 में जब दुनिया पर आर्थिक मंदी आया तब दुनियाभर के वित्त मंत्रियों ने हेड ऑफ स्टेट के लेवल का ग्रुप बनाया। जिसे जी20 कहा गया। इसकी पहली बैठक 2008 में वाशिंगटन में हुई।
G20 की अब तक कुल 17 बैठकें हो चुकी हैं। अबकी बार भारत इसकी 18वीं बैठक की मेजबानी कर रहा है। दिल्ली में इसकी पूरी तैयारियां हो चुकी हैं।
जी20 का फोकस अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना है लेकिन समय के साथ विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे भी जुड़ते गए।
जी20 ग्रुप में 19 देश और एक यूरोपियन यूनियन शामिल हैं। इसके सदस्य देशों के पास दुनिया की 85& GDP, 75% ग्लोबल ट्रेड और दुनिया की 2/3 आबादी है।
अध्यक्ष देश उस साल जी20 की बैठकें आयोजित करता है। बैठक का एजेंडा पेश करता है। जी20 दो समानांतर ट्रैक पर काम करता है। पहला फाइनेंस ट्रैक और दूसरा शेरपा ट्रैक।
फाइनेंस ट्रैक में सभी देशों के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नर साथ काम करते हैं। शेरपा ट्रैक में हर देश का एक शेरपा लीड होता है, जो अपने देश के प्रमुख का काम आसान बनाते हैं।
जी20 की अध्यक्षता का फैसला ट्रोइका यानी एक तिकड़ी तय करती है। इसमें पिछले, वर्तमान और भविष्य के अध्यक्ष देश शामिल होते हैं।
G20 आर्थिक तौर पर ताकतवर देशों का समूह है। इसलिए इन बैठकों में लिए गए फैसलों से इंटरनेशनल ट्रेड काफी हद तक प्रभावित हो सकता है। बैठक के अंत में सहमित बनाई जाती है।