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सांपों की खेती को स्नेक फॉर्मिंग कहते हैं। जिस तरह पोल्ट्री फॉर्म में मुर्गियां पाली जाती हैं, उसी तरह सांपों को उनके अनुकूल माहौल देकर उन्हें पाला जाता है।
चीन के कई प्रांतों में ग्रामीण इलाकों में सांप की खेती होती है। यहां सांपों को पैदा कर उन्हें पाला-पोसा जाता है। बाद में जहर निकालने के लिए बेचा जाता है।
पूर्वी चीन के झेजियांग प्रांत में जिसिकियाओ नाम का एक गांव हैं, जहां के लगभग सभी लोग सांपों की खेती करते हैं। यही वजह है कि इस गांव को Snake Village भी कहा जाता है।
इस गांव में हर साल 3 से 5 मिलियन सांप यानी करीब 50 लाख सांप पैदा किए जाते हैं। बाद में इन सांपों को उनकी डिमांड के मुताबिक चीन या फिर उससे बाहर बेचा जाता है।
चीन के जिसकियाओ गांव की आबादी करीब 1500 है। यानी यहां हर एक इंसान पर 3300 सांप हैं। गर्मी के दिनों में जब अंडों से बच्चे निकलते हैं तो ये गांव सांपों से भर जाता है।
सांपों के जहर से कई तरह के एंटीवेनम और दवाइयां बनाई जाती हैं। इनका इस्तेमाल जहर को काटने के साथ ही कई बार नशे के लिए भी किया जाता है।
सबसे ज्यादा जिन सांपों की खेती होती है, उनमें करैत, पिट वाइपर, रैट स्नेक और रैटल स्नेक हैं। इन सांपों के जहर से जो दवाइयां बनती हैं, उसका इस्तेमाल बेहद सावधानी से करना होता है।
चीन से सांपों को मंगाने वाले देशों में अमेरिका, जर्मनी, जापान, साउथ कोरिया और हांगकांग शामिल हैं।
बता दें कि सांप के जहर की कीमत उसकी प्रजाति पर निर्भर करती हैं। औसतन सांप का 1 ग्राम जहर 500 से 750 डॉलर यानी 40 हजार से 60 हजार रुपए तक होती है।