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क्यों छलका Infosys के नारायण मूर्ति का दर्द, बताया कैसे खड़ी की कंपनी?

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नारायण मूर्ति ने आखिर कैसे खड़ी की Infosys

इन्फोसिस (Infosys) के को-फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) का दर्द छलक उठा है। एक इंटरव्यू में उन्होंने इन्फोसिस के बनने की कहानी शेयर की।

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कभी विप्रो ने नारायण मूर्ति को नौकरी देने से कर दिया था मना

नारायणमूर्ति के मुताबिक, कभी विप्रो (Wipro) ने उन्हें नौकरी देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने 6 दोस्तों के साथ मिलकर इन्फोसिस की नींव रखी।

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नारायण मूर्ति को नौकरी न देना विप्रो की सबसे बड़ी भूल

बता दें कि विप्रो के पूर्व चेयरमैन अजीम प्रेमजी (Azim Premji) खुद इस बात को कबूल कर चुके हैं कि नारायण मूर्ति को नौकरी न देना विप्रो की सबसे बड़ी भूल थी।

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तो आज विप्रो के सामने न होती इतनी बड़ी चुनौती

अजीम प्रेमजी ने कहा था कि अगर उन्होंने नारायणमूर्ति को नौकरी दे दी होती तो आज उनके सामने इन्फोसिस जैसी कंपनी एक चुनौती बनकर खड़ी नहीं होती।

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नारायण मूर्ति ने 6 दोस्तों संग मिलकर बनाई थी Infosys

देश की दूसरी सबसे बड़ी IT कंपनी इन्फोसिस की स्थापना 1981 में हुई। इसे नारायण मूर्ति के अलावा नंदन नीलेकणि, क्रिस गोपालकृष्णन एसडी शिबुलाल, के दिनेश, एनएस राघवन और अशोक अरोड़ा ने की।

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Infosys को खड़ा करने में सुधा मूर्ति ने की मदद

इन्फोसिस की नींव रखने में नारायणमूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति का बड़ा योगदान रहा। सुधा मूर्ति ने कंपनी के लिए अपने पास जमा पूंजी से 10 हजार रुपये दिए थे।

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जानें क्यों कभी Infosys का हिस्सा नहीं बनीं सुधा मूर्ति

नारायणमूर्ति के मुताबिक, सुधा सबसे ज्यादा योग्य थी। लेकिन मैंने तय कर लिया था कि कंपनी में फैमिली को इनवॉल्व नहीं करूंगा। यही वजह है कि सुधा मूर्ति कभी कंपनी का हिस्सा नहीं बनीं।

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इन्फोसिस से पहले मिली थी असफलता

नारायण मूर्ति के मुताबिक, इन्फोसिस के पहले उन्होंने सोफ्ट्रॉनिक्स (Softronics) नाम की एक कंपनी शुरू की थी। हालांकि, उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली।

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जब पुणे की एक कंपनी में नारायण मूर्ति ने की नौकरी

सोफ्ट्रॉनिक्स (Softronics) के बंद हो जाने के बाद नारायणमूर्ति ने कुछ समय तक पुणे की कंपनी पटनी कम्प्यूटर में नौकरी भी की थी।

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