रात में किसी महिला के पास टिकट नहीं है तो टीटीई ट्रेन से उतार नहीं सकता है।जिद करने पर शिकायत कर सकती हैं। अगर उतारा जाता है तो महिला को सेफ जगह पहुंचाने का जिम्मा RPG-GRP का होगा।
प्रेगनेंट महिलाएं अगर ट्रेन में जाने के लिए टिकट बुक कर रही हैं तो उन्हें लोअर बर्थ का कोटा मिलता है। यह कोटा सीनियर सिटीजन, 45 साल या उससे ज्यादा की महिलाओं के लिए भी तय है।
अगर रिजर्वेशन काउंटर से ट्रेन का टिकट लेना है और वहां किसी काउंटर पर महिलाओं की लाइन नहीं है तो किसी महिला को लाइन में लगने की जरूरत नहीं है। अलग से लाइन लगाकर टिकट ले सकती हैं।
मेल या एक्सप्रेस ट्रेनों के कोच में महिला यात्रियों को बिना रिजर्वेशन कैटेगरी में भी अकमोडेशेन की सुविधा मिलेगी। उपनगरीय ट्रेनों में सेपरेट कंपार्टमेंट-कोच की सुविधा मिलेगी।
आवश्यकता के हिसाब से भारतीय रेलवे महिलाओं के लिए स्पेशल ट्रेनें भी चलाता है। इस बारें में महिलाएं रेलवे ऑफिस से पता कर सकती हैं।
कई प्रमुख रेलवे स्टेशन पर महिला पैसेंजर के लिए वेटिंग हॉल खासतौर पर बनाए गए हैं। नियम के अनुसार, महिलाओं के लिए स्टेशन पर सेपरेट टॉयलेट होना ही चाहिए।
हेल्पलाइन नंबर 182 से महिलाएं किसी भी समय सिक्योरिटी की मांग कर सकती हैं। नंबर सीधे डिविजिनल सिक्योरिटी कंट्रोल रूम में लगता है, जो RPF के तहत आता है। फोन आरपीएफ कर्मी को मिलता है।
अगर ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर छेड़छाड़ की कोशिश हो रही, खाने, सफाई, कोच की देखरेख, मेडिकल इमरजेंसी समेत किसी भी तरह की समस्या को लेकर आप हेल्पलाइन की मदद ले सकती हैं।
RPF 'मेरी सहेली' मुहिम चला रहा है। इसमें पुलिस महिला पैसेंजर के पास जाकर पूछती है कि कोई पेरशानी तो नहीं है। लंबी दूरी की ट्रेनों में ये सुविधा होती है। परेशानी तुरंत हल की जाती है