रिलायंस ग्रुप की स्थापना धीरूभाई अंबानी ने 1958 में की थी। देश में सबसे प्रसिद्ध ब्रांड नामों में से एक होने के बावजूद, कंपनी के नाम रिलायंस के पीछे का इतिहास शायद ही सबको पता है।
धीरूभाई ने स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता में मजबूत विश्वास का प्रतीक के रूप में कंपनी का नाम रिलायंस रखा था। पार्टनरशिप में कंपनी शुरू की थी जिसमें पार्टनर थे चचेरे भाई चंपकलाल दमानी।
1950 के दशक में यमन में मसाले और पॉलिएस्टर यार्न लाने के लिए एक बिजनेस माजिन की स्थापना की। इस साझेदारी द्वारा उस व्यवसाय की आधारशिला रखी गई जो आगे चलकर रिलायंस इंडस्ट्रीज बनी।
1960 के दशक में यह जोड़ी भारत लौट आई और रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन नाम से एक नए बिजनेस की स्थापना की। कंपनी ने पहले मसाले और पॉलिएस्टर यार्न बेचने पर ध्यान केंद्रित किया।
अंबानी और दमानी की बिजनेस पार्टनरशिप उनके अलग-अलग तरीकों के कारण 1965 में टूट हो गई। इसके बाद अंबानी के नेतृत्व में रिलायंस ने कपड़ा इंडस्ट्री पर फोकस किया।
पार्टनरशिप टूटने के बाद रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन का नाम 1966 में बदलकर रिलायंस टेक्सटाइल्स कर दिया गया।
कई अन्य क्षेत्रों में कदम रखने के बाद धीरूभाई ने कंपनी का नाम मूल रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन से बदलकर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड कर दिया।इस तरह रिलायंस का नाम कम से कम 3 बार बदला।
अंबानी परिवार के रिलायंस कंपनियों की चेन में से कुछ का स्वामित्व मुकेश अंबानी तो कुछ का अनिल अंबानी के पास है।
मुकेश अंबानी 970356 करोड़ रुपये की मार्केट कैप के साथ भारत के सबसे अमीर आदमी हैं और अनिल अंबानी भी अब फिर से आगे बढ़ रहे हैं।