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बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन: पश्चिम बंगाल के पूर्व CM की 10 बड़ी बातें

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बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका पश्चिम बंगाल की राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में अहम योगदान रहा।

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बुद्धदेव भट्टाचार्य का प्रारंभिक जीवन

बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म 1 मार्च 1944 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था।

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अंग्रेजी साहित्य में मास्टर्स डिग्री

उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में पढ़ाई की और बाद में कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर्स की डिग्री हासिल की।

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राजनीतिक करियर

भट्टाचार्य 1966 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआई-एम) में शामिल हुए और प्रमुख नेता बने। अपने कार्यों से पार्टी में ऊंचे पदों तक पहुंचे।

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पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री बने

उन्होंने 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की सेवा की। उन्होंने ज्योति बसु के बाद यह पद संभाला था।

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औद्योगिकीकरण

 भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल में आईटी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के विकास के माध्यम से औद्योगिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया।

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सिंगुर और नंदीग्राम विवाद

उनके कार्यकाल में सिंगुर और नंदीग्राम में औद्योगिक परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर विवाद हुआ, जिसके कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए।

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आर्थिक सुधार

उन्होंने निवेश आकर्षित करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए निजीकरण और उदारीकरण सहित आर्थिक सुधार लागू किए।

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सांस्कृतिक योगदान

एक राजनीतिज्ञ के साथ बुद्धदेव भट्टाचार्य एक कवि और लेखक भी थे। उन्होंने बंगाली में कई किताबें प्रकाशित किये।

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पुरस्कार और सम्मान

उन्हें 2004 में "बेस्ट एडमिनिस्ट्रेटर इन इंडिया" का पुरस्कार मिला और 2007 में "बिजनेस रिफॉर्मर ऑफ द ईयर" नामित किया गया।

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मुख्यमंत्री पद के बाद बुद्धदेव भट्टाचार्य

2011 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद, भट्टाचार्य ने सीपीआई-एम राज्य सचिव पद से इस्तीफा दे दिया और तब से पार्टी गतिविधियों में शामिल रहे, सामाजिक और आर्थिक न्याय की वकालत करते रहे।

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