इंफोसिस 580000 करोड़ से अधिक मार्केट कैप के साथ भारत की दूसरी सबसे बड़ी टेक कंपनी है। 1981 में नारायण मूर्ति, नंदन नीलेकणि और अन्य इंजीनियरों द्वारा स्थापित इसकी विरासत लंबी है।
इंफोसिस वर्षों से कई आईटी दिग्गज के नेतृत्व में रहा है। वर्तमान में इसका नेतृत्व आईआईटी के पूर्व छात्र सलिल पारेख कर रहे हैं जो सीईओ और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत हैं लेकिन
इस कंपनी के वित्तीय निर्णय एक सीए और डीयू के ग्रेजुएट के हाथों में है। जिस कॉमर्स ग्रेजुएट के बारे में हम बात कर रहे हैं, उसने कोविड 19 महामारी के दौरान कंपनी को आगे बढ़ाया।
कंपनसेशन एनालिसिस फर्म इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार 2022 में उनका कुल मुआवजा 9 करोड़ रुपये से अधिक था। वित्त वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में उनकी सैलरी 37 प्रतिशत बढ़ गई।
यह व्यक्ति हैं नीलांजन रॉय जो इंफोसिस के CFO हैं। ये 2019 में इंफोसिस में शामिल हुए। इससे पहले भारती एयरटेल लिमिटेड के वैश्विक मुख्य वित्तीय अधिकारी के रूप में कार्य किया।
उन्होंने भारत, यूरोप और अमेरिका में यूनिलीवर के परिचालन में भी काम किया था। एक स्थापित फाइनेंस लीडर के रूप में नीलांजन के पास ग्लोबल एक्सपीरिएंस है।
जिसमें शेयरधारक मूल्य निर्माण, ईएसजी और कॉर्पोरेट प्रशासन, ट्रेजरी और फंडिंग, एम एंड ए, निवेशक संबंध, कराधान, वित्तीय लेखांकन और रिपोर्टिंग शामिल है।
नीलांजन रॉय ने दिल्ली विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक (ऑनर्स) किया है और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं।