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इंजीनियर जिसने ट्रेन की रफ्तार से पकड़ी पटरी की खामी,अंग्रेज रह गए दंग

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सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया भारत के महान इंजीनियर

15 सितंबर को इंजीनियर्स डे सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के कार्यों के सम्मान में मनाया जाता है। सिंचाई, जलविद्युत पावर, स्वास्थ्य में उनके काम का देश के विकास पर गहरा असर है।

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सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया कौन थे?

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म बेंगलुरू में हुआ था। एक सिविल इंजीनियर, राजनेता और मैसूर के 19वें दीवान थे। उनके इंजीनियरिंग, एजुकेशन में दिये योगदान आज भी प्रेरित करते हैं।

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विश्वेश्वरैया ने चलती ट्रेन में बैठे-बैठे पकड़ ली पटरी की खराबी

एक ट्रेन यात्रा के दौरान विश्वेश्वरैया का मजाक उड़ाने वाले अंग्रेज उनकी इंजीनियरिंग ज्ञान से तब दंग रह गए, जब उन्होंने पटरी की खराबी महसूस कर चलती ट्रेन रोकी और पलटने से बचा लिया।

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75 फुट ऊंची सीढ़ी चढ़ने से डरे इंजीनियर्स,विश्वेश्वरैया ने दिखाया साहस

अमेरिका की फैक्ट्री में 75 फुट ऊंची सीढ़ी पर चढ़ने से जब सभी इंजीनियर पीछे हट गए, तब सबसे उम्रदराज विश्वेश्वरैया ने साहस दिखाया और मशीन देखने चढ़ गए। इस साहस की सभी ने सराहना की।

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विश्वेश्वरैया कहलाये "कर्नाटक का भागीरथ"

उन्हें कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे तक पानी पहुंचाने का प्लान बनाकर बांध में स्टील के दरवाजे लगवाए, जिसकी तारीफ अंग्रेजों ने भी की।

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विश्वेश्वरैया की इंजीनयरिंग का कमाल था कृष्णराजा सागर डैम

विश्वेश्वरैया की प्रमुख उपलब्धियों में एक है कृष्णराजा सागर डैम, जो मंड्या में स्थित है। जिसने बड़े पैमाने पर सिंचाई की सुविधा प्रदान की। कई शहरों के लिए पीने के पानी का स्रोत बना।

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विश्वेश्वरैया को मिला भारत रत्न समेत कई सम्मान

विश्वेश्वरैया को 1955 में सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया। कंपैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द इंडियन एम्पायर और बाद में नाइट कमांडर ऑफ द ब्रिटिश इंडियन एम्पायर अवार्ड मिला।

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मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का निधन

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का निधन 14 अप्रैल, 1962 को 102 वर्ष की आयु में हुआ। उनका योगदान इंजीनियरों और नागरिकों को लगातार प्रेरित करता है।

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विश्वेश्वरैया के 100वें जन्मदिन पर जारी किया गया था स्मारक डाक टिकट

विश्वेश्वरैया के शानदार योगदान की सराहना के लिए, भारत पोस्ट ने उनके 100वें जन्मदिन पर 15 सितंबर 1960 को एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था। 

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