गुरु पूर्णिमा उन शिक्षकों और गुरुओं को नमन करने का अवसर है जिन्होंने शिक्षा, समाज, संस्कृति और करियर को नई दिशा दी। जानिए भारत के 10 सबसे प्रेरक और ऐतिहासिक गुरुओं के बारे में।
महर्षि वेदव्यास ने चार वेदों का विभाजन किया, महाभारत, 18 पुराणों की रचना की। उन्होंने पूरे वैदिक ज्ञान को व्यवस्थित किया। उनकी वजह से गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।
आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को गद्दी तक पहुंचाया, अर्थशास्त्र की रचना की। उन्होंने बताया कि एक शिक्षक न सिर्फ ज्ञान, बल्कि राष्ट्रनिर्माण का आधार भी होता है।
स्वामी विवेकानंद के गुरु थे रामकृष्ण परमहंस। स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा को आत्मबल और सेवा से जोड़ा। युवाओं को ‘उठो, जागो’ का मंत्र दिया।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने फिलॉसफी, शिक्षा नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके सम्मान में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पेशे से साइंटिस्ट, थे लेकिन आत्मा से टीचर थे। उन्होंने जीवनभर स्टूडेंट्स को पढ़ाया, मोटिवेट किया और शिक्षा को भारत के विकास से जोड़ा।
सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों के लिए पहला स्कूल शुरू किया। जब समाज में बालिकाओं को शिक्षा से वंचित किया जा रहा था, तब उन्होंने बदलाव की मशाल जलाई।
दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की, वैदिक शिक्षा का प्रचार किया। उन्होंने समाज में अंधविश्वास और अशिक्षा के खिलाफ आवाज उठाई।
रामकृष्ण परमहंस ने भक्ति, ज्ञान और सेवा को एक ही राह पर चलना सिखाया। स्वामी विवेकानंद को भी इन्होंने राह दिखाई थी।
डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान निर्माता, दलित शिक्षा के प्रणेता थे। उनका कहना था, शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो।
बाबा आमटे को भारत का सर्वश्रेष्ठ समाजसेवी कहा जाता है। उन्होंने अपना जीवन कुष्ठ रोगियों, दिव्यांगों, उपेक्षितों की सेवा में लगा दिया। वे स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरित थे।