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कोलकाता नाम की कहानी: तीन गांवों का संगम और मां काली से जुड़ी

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कैसे पड़ा कोलकाता का नाम?

कोलकाता का नाम बंगाली शब्द कलकत्ता से लिया गया है, जो "कलिकाता" नामक एक गांव से उत्पन्न हुआ। माना जाता है कि इस नाम का संबंध देवी काली के नाम से है, क्योंकि यहां कालीघाट है।

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कोलकाता का नाम देवी काली से जुड़ा

कुछ इतिहासकारों के अनुसार, "कलिकाता" शब्द संस्कृत के "कलिका" (देवी काली) और "स्थान" का संगम है, जिसका मतलब है 'काली का स्थान'।

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कोलकाता का क्या है इतिहास?

कोलकाता की स्थापना 1690 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी जॉब चार्नॉक द्वारा की गई मानी जाती है, हालांकि इस पर विवाद भी है।

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तीन गांव मिलकर बना कोलकाता

उस समय यह क्षेत्र तीन प्रमुख गांवों - सुतानुटी, गोविंदपुर और कलिकाता - से मिलकर बना था। ये गांव बाद में मिलकर आधुनिक कोलकाता बने।

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कोलकाता का नाम कई बार बदला: कलिकाता से कलकत्ता

ब्रिटिश शासन के दौरान, कलिकाता को अंग्रेजी में कलकत्ता के रूप में उच्चारित किया गया। यह नाम कई वर्षों तक बना रहा और अंग्रेजी में शहर का ऑफिशियल नाम भी रहा।

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कलकत्ता से कोलकाता क्यों हुआ नाम

1 जनवरी 2001 को शहर का नाम कलकत्ता से बदलकर कोलकाता कर दिया गया। यह परिवर्तन बंगाल की भाषा और संस्कृति के साथ अधिक मेल खाने के लिए किया गया, ताकि शहर की पहचान स्थानीय नाम से हो।

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कोलकाता नाम बदलने के पीछे के कारण

स्थानीय भाषा और संस्कृति को महत्व देने के लिए नाम को "कोलकाता" किया गया। यह बंगाली उच्चारण के अधिक करीब है और शहर की वास्तविक सांस्कृतिक पहचान को दिखाता है।

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औपनिवेशिक अतीत से मुक्ति

ब्रिटिश शासन के दौरान दिए गए नाम "कलकत्ता" से हटकर "कोलकाता" नाम अपनाना, औपनिवेशिक प्रभाव से दूरी बनाने और स्थानीय पहचान को बढ़ावा देने का एक प्रयास था।

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कोलकाता का नाम उसके समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक महत्व जुड़ा

इस तरह, कोलकाता का नाम उसके समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक महत्व से गहराई से जुड़ा हुआ है। शहर का नाम बदले जाने के ये कदम उसकी स्थानीय पहचान को सशक्त बनाने के लिए उठाए गए थे।

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