किसी भी कंपनी को सफल तरीके से चलाने में उसके मैनेजमेंट और वित्तीय विभाग का पूरी तरह से एक्टिव होना बेहद अहम है। जिसके लिए CEO के बाद CFO का पद प्रमुख माना जाता है।
सीएफओ का फुल फॉर्म है Chief Financial Officer जिसे मुख्य वित्तीय अधिकारी के नाम से भी जानते हैं। यह कंपनी के वित्तीय विभाग का प्रमुख ऑफिसर होता है।
CFO किसी कंपनी की सभी वित्तीय गतिविधियों पर निगरानी रखता है और उससे जुड़े सभी मैनेजमेंट और रिस्क की जिम्मेदारी भी लेता है। CFO सभी प्रकार के वित्तीय लेन-देन की जानकारी रखता है।
CFO फाइनेंशियल फैसले लेने का अधिकार भी रखता हैं। सीईओ और सीएफओ हमेशा साथ मिलकर कंपनी के वित्तीय फैसले लेते हैं।
सीएफओ बनने के लिए उच्च वित्तीय शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता होती है। मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से फाइनेंस, अकाउंटिंग या फिर बिजनेस में पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री की जरूरत होती है।
इसके बाद आपको CA की परीक्षा पास करनी होगी। CFO उम्मीदवार को किसी कंपनी में वरिष्ठ पद पर कम से कम 5 साल का कार्य अनुभव होना जरूरी है, जिसके बाद ही आप पदोन्नत होकर सीएफओ बन सकते हैं।
सीएफओ का मुख्य कार्य कंपनी के सभी वित्तीय योजनाएं तैयार करना है ताकि कंपनी मुनाफे की ओर बढ़ती रहे। फाइनेंशियल रिपोर्ट को मैनेज करना और उसे चेक करना जरूरी कार्यों में से एक है।
बजट प्लानिंग, बैलेंस शीट, कैश फ्लो, मुनाफा और नुकसान सभी कुछ का ध्यान सीएफओ को रखना होता है। इसके आलावा सीएफओ कंपनी के टैक्स, कर्मचारियों की सैलरी आदि का भी ख्याल रखता है।
योग्यता, अनुभव और कंपनी की ब्रांड वैल्यू पर निर्भर करता है की सीएफओ की सैलरी क्या होगी। जितनी बड़ी कंपनी होती है उतनी ही अच्छी सैलरी मिलती है।
सीएफओ की एक महीने की सैलरी लगभग ₹45000 से 1,50000 लाख तक या इससे अधिक हो सकती है। विदेश में सीएफओ की प्रारंभिक सैलरी ₹90000 से लेकर ₹120000 तक भी हो सकती है। अन्य भत्ते मिलते हैं।