एलोन मस्क की दुनिया के सबसे अमीर आदमी बनने की यात्रा दो कंपनियों, उनके इलेक्ट्रिक कार ब्रांड टेस्ला और रॉकेट कंपनी स्पेसएक्स की सफलता पर आधारित थी।
भारत में इसी तरह के अवसर की पहचान आईआईटी के पूर्व छात्र और इसरो के पूर्व कर्मचारी पवन कुमार चंदना ने की थी।
साथी आईआईटियन व पूर्व इसरो सहयोगी नागा भारत डाका के साथ उन्होंने देश की पहली प्राइवेट स्पेस कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस स्थापित की। जिसने भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट विक्रम-एस बनाया।
उनका स्काईरूट लॉन्च से पहले व लॉन्च के दौरान इंटीग्रेशन फैसलिटी, लॉन्चपैड, रेंज कम्युनिकेशन और रिजनेबल रेट पर ट्रैकिंग सपोर्ट जैसे उद्देश्यों के लिए इसरो सर्विसेज का उपयोग करता है।
विक्रम-एस रॉकेट को तीन छोटे उपग्रहों को लेकर 18 नवंबर, 2022 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। कुछ आयातित सेंसरों के अलावा रॉकेट के सभी सिस्टम को घर में ही डिजाइन किया गया।
उन्होंने विक्रम-1 और विक्रम-2 रॉकेट भी डेवलप किए हैं। पवन कुमार चंदना ने एक साइंटिस्ट के रूप में इसरो के साथ 6 साल बिताने के बाद हैदराबाद स्थित प्राइवेट स्पेस कंपनी की स्थापना की।
स्काईरूट ने अब तक 95 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। सबसे हाल ही में टेमासेक द्वारा 225 करोड़ रुपये ($27 मिलियन) की प्री-सीरीज सी फंडिंग थी।
इससे पहले 2022 में सीरीज बी राउंड के दौरान फर्म का मूल्य लगभग 1,304 करोड़ रुपये (लगभग 165 मिलियन डॉलर) आंका गया था।
स्काईरूट इंडियन प्राइवेट स्पेस फील्ड में लीडिंग प्लेयर है, जिसके 2040 तक 100 बिलियन डॉलर का मार्केट होने का अनुमान है।
पवन कुमार चांदना ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। उनका लगाव शुरुआत से ही रॉकेट और स्पेस साइंस की तरफ था।
चंदना जब मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्हें NASA के एक प्रोग्राम में काम करने का मौका मिला। कैंपस प्लेसमेंट के दौरान इसरो में जॉब मिली, जहां उनकी मुलाकात नागा से हुई।
चंदना और नागा दोनों एक साथ विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में साथ काम करते थे। चंदना वहां बतौर साइंटिस्ट जुड़े थे तो वहीं नागा इवियोनिक्स इंजीनियर के तौर पर नियुक्त थे।