15 अगस्त 1947 की आजादी के बाद भी भारत के एक राज्य गोवा को स्वतंत्रता नहीं मिली थी। इस राज्य को भारत में मिलाने के लिए देश को एक और लड़ाई लड़नी पड़ी थी।
15 अगस्त 1947 को जब भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, तब गोवा, दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली पुर्तगालियों के नियंत्रण में थे।
गोवा 16वीं शताब्दी से ही पुर्तगालियों के अधीन था। यह लगभग 450 साल तक उनके कब्जे में रहा, जब तक कि भारत ने इसे आजाद नहीं कराया।
स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने गोवा सहित अन्य पुर्तगाली क्षेत्रों को भारत को सौंपने की मांग की लेकिन पुर्तगाल ने इस मांग को ठुकरा दिया और गोवा पर अपना अधिकार बनाए रखा।
1961 में भारत सरकार ने "ऑपरेशन विजय" नामक सैन्य अभियान चलाने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य गोवा और अन्य पुर्तगाली क्षेत्रों को मुक्त कराना था।
18 से 19 दिसंबर 1961 के बीच भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर गोवा, दमन और दीव को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया। यह अभियान लगभग 36 घंटे तक चला।
19 दिसंबर 1961 को गोवा पुर्तगाली शासन से मुक्त हुआ और इसे भारत में शामिल कर लिया गया। इस दिन को गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्वतंत्रता के बाद गोवा को दमन और दीव के साथ मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। यह स्थिति 1987 तक बनी रही।
30 मई 1987 को गोवा को एक अलग राज्य का दर्जा दिया गया। इस प्रकार गोवा भारत का 25वां राज्य बना। ऐसे गोवा की स्वतंत्रता भारत की स्वतंत्रता के 14 साल बाद आई।