क्या आप जानते हैं कि 200 कैरेट का जुबली डायमंड किसका था जो अपने वजन और आकर में दुनिया के फेमस हीरे कोहिनूर से दोगुना बड़ा है।
जुबली डायमंड मेहरबाई टाटा का था जो दोराबजी टाटा की पत्नी थीं। दोराबजी टाटा ने अपनी पत्नी को कोहिनूर से दोगुना बड़ा हीरा गिफ्ट किया था। इस हीरे का नाम जुबली डायमंड है।
साल 1895 में दक्षिण अफ्रीका की Jagersfontein खान से निकला यह हीरा दुनिया का छठा सबसे बड़ा हीरा है। यह हीरा एक सच्चे जीवनसाथी और सच्चे प्रेम की निशानी है।
1914 में पहले विश्व युद्ध के दौरान मंदी में जब टाटा कंपनी के पास अपने वर्कर को देने के लिए पैसे नहीं थे तब मेहरबाई ने अपना जुबली डामंड इंपीरियल बैंक में 100 करोड़ में गिरवी रखा था।
ऐसा करने के पीछे कारण यह था कि इस पैसे से टाटा कंपनी के वर्कर्स को सैलरी दी जा सके जिससे उनका घर और कंपनी दोनों चलती रहे।
मेहरबाई टाटा का निधन ब्लड कैंसर के कारण हुआ था जिसके बाद उनके पति सर दोराबजी टाटा ने कैंसर के खिलाफ जंग छेड़ दी थी।
उन्होंने पत्नी की मौत के बाद इस जुबली डायमंड को बैंक को ही बेच कर कैंसर के इलाज के लिए जमशेदपुर में मेहरबाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की नींव डाल दी।
पत्नी के प्रेम में बनाया गया यह अस्पताल सच्चे प्रेम की असल निशानी है जो लाखों जिंदगियों को हर पल बचा रही है। इस प्रेम स्मारक ने अबतक लाखों लोगों की जान बचाई है।
मेहरबाई मैसूर की रहने वाली थी। वह होमी जहांगीर भाभा की बुआ थी। लोग उन्हें लेडी टाटा के नाम से पुकारते थे। उन्हें स्पोर्ट्स में बेहद दिलचस्पी थी।
उस दौर में मेहरबाई देश की प्रभावशाली महिलाओं में से एक थी। मेहरबाई ने देश में होने वाले बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी।
बाल विवाह को खत्म करने के लिए देश की आजादी से पहले ही कानून लाया गया था। इस बदलाव के लिए टाटा परिवार की बहू मेहरबाई आगे आईं थीं। बाल विवाह को रोकने के लिए उन्होंने कई काम किए थे।