30 अगस्त यानी आज आसमान में पूरा चमकदार चंद्रमा देखने को मिलेगा। पूर्णिमा की तुलना में यह करीब 7 प्रतिशत बड़ा नजर आएगा लेकिन ज्यादा अंतर समझ में नहीं आता है।
रक्षाबंधन की रात पृथ्वी से चांद अनोखा नजर आएगा। इस साल का यह एकमात्र ब्लू सुपरमून होगा। यह सुपरमून करीब 222,043 मील दूर नजर आएगा।
हर 33 महीने यानी 2 से 3 साल में एक बार ब्लू सुपरमून नजर आता है। इसका नाम 'वंस इन अ ब्लू मून' नाम की अंग्रेजी कहावत से पड़ा है।
सुपरमून दो घटनाओं के मिलने से बनता है। एक घटना पूर्णिमा यानी फुलमून और दूसरा चंद्रमा का पृथ्वी के पास होना। इससे चांद पूरा और बड़ा दिखता है, जिसे सुपरमून कहा जाता है।
एक साल में करीब 12 पूर्णिमा की रातें होती हैं, लेकिन इनमें से सभी में सुपरमून की स्थिति नहीं बनती है। सिर्फ तभी सुपरमून होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी के पास आ जाता है।
चंद्रमा अंडाकार कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाता है। परिक्रमा के दौरान एक बार वह पृथ्वी के सबसे पास आता है। अगर इस दिन पूर्णिमा है तो चांद बड़ा दिखता है, यह सुपरमून बन जाता है।
संयोग की बात है कि पूर्णिमा की रात ही चंद्रग्रहण लगता है। इसका मतबल सुपरमून की रात चंद्रग्रहण होता है। ऐसे में कई लोग इसे चंद्रग्रहण के प्रभाव से जोड़ देते हैं।
सुपरमून का प्रभाव ज्वार या टाइड्स को प्रबल और तेज कर देता है। पूर्णिमा पर चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव पृथ्वी के पास होने से उसमें तीव्रता नजर आती है।