सलोनी सिडाना ने 2012 में दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस में ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की और डॉक्टर बन गईं। इसके बाद UPSC में शामिल होने का फैसला किया।
यूपीएससी सीएसई (संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा परीक्षा) की तैयारी से पहले सलोनी को आगे की शिक्षा के लिए विदेश जाने का मौका मिला। हालांकि उन्होंने भारत में रहने का फैसला किया।
वह एक सिविल सेवक के रूप में काम क्यों करना चाहती हैं इस बार में पूछे जाने पर वह कहती हैं, मैं अभी भी एक डॉक्टर के प्रोफेशन को महत्व देती हूं।
एक डॉक्टर होने के नाते मुझे लोगों के साथ सीधे बातचीत करने का मौका मिलता है, यह कुछ ऐसा है जिसे आप सिविल सर्विसेज में शामिल होने पर भी जारी रख सकते हैं।
यूपीएससी आपको अपने ज्ञान का दायरा बढ़ाने में सक्षम बनाता है। अगर मैं केवल एक डॉक्टर होती तो भूगोल, नागरिक शास्त्र या अर्थशास्त्र का अध्ययन नहीं करती।
मैंने UPSC की तैयारी के दौरान अपने देश के बारे में बहुत कुछ सीखा। वैकल्पिक विषय के रूप में मेडिकल के बजाय लॉ पर फोकस किया।
सलोनी की ज्ञान की खोज ने उन्हें पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने में सक्षम बनाया। एक साल तक तैयारी करने के बाद वह अखिल भारतीय रैंक 74 हासिल करने में सफल रहीं।
सलोनी को मूल रूप से आंध्र प्रदेश कैडर सौंपा गया था। उन्होंने आईएएस आशीष वशिष्ठ से शादी की और फिर वह मध्य प्रदेश कैडर की सदस्य बन गईं।
IAS सलोनी ने महज 500 रुपये की कोर्ट फीस चुका कर कोर्ट मैरिज की। शादी के दो दिन बाद ही काम पर पहुंच गईं।
सलोनी का दावा है कि उनकी निरंतरता ने ही उन्हें पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा पास करने में मदद की। उन्होंने कहा मैं प्रतिदिन लगभग छह से आठ घंटे तैयारी में बिताती थी।
वह आगे कहती हैं, प्रारंभिक परीक्षाओं में शामिल होने के लिए मेरे पास केवल पांच महीने थे।सलोनी का दावा है कि परीक्षा देने से एक महीने पहले, वह अपने घर चली गई, जो उसका कंफर्ट जोन है।