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इस IAS के पास UPSC इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाने तक के नहीं थे पैसे

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पहली आदिवासी महिला आईएएस अधिकारी

कड़ी मेहनत के बाद हर साल केवल कुछ ही लोग यूपीएससी परीक्षा में सफल हो पाते हैं। इन्ही कुछ सफल लोगों में से एक हैं कोलकाता की पहली आदिवासी महिला आईएएस अधिकारी श्रीधन्या सुरेश।

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कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा

श्रीधन्या को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन उनका ध्यान नहीं भटका। अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से वह यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली पहली आदिवासी महिला बनीं।

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धनुष-बाण की दुकान पर काम करते थे माता-पिता

श्रीधन्या कुरिचिया जनजाति से हैं। उसके माता-पिता कमाने के लिए धनुष-बाण की दुकान पर काम करते थे। सबसे जरूरी संसाधनों की कमी के कारण भी आईएएस सुरेश का पालन-पोषण प्रभावित हुआ।

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एजुकेशन

स्कूली शिक्षा वायनाड से की और फिर जुलॉजी की पढ़ाई के लिए कोझिकोड के सेंट जोसेफ कॉलेज (कालीकट) चली गईं। बाद में कालीकट विश्वविद्यालय से एप्लाइड जूलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की।

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क्लर्क और हॉस्टल वार्डन के रूप में काम किया

वह राज्य सरकार के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क के रूप में काम करती थीं। उन्होंने आदिवासी छात्रों के छात्रावास में वार्डन के रूप में भी काम किया।

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यूपीएससी था लक्ष्य

लेकिन उनकी असली महत्वाकांक्षा यूपीएससी परीक्षा पास करने की थी। इसलिए उन्होंने अपनी तैयारी शुरू की और 2018 यूपीएससी परीक्षा में शामिल हुईं।

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तीसरे प्रयास में मिली सफलता

श्रीधन्या सुरेश ने अपनी अटूट निष्ठा और अपने परिवार के सपोर्ट के कारण अपने तीसरे प्रयास में AIR 410 के साथ CSE 2018 में सफलता हासिल की।

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इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाने के लिए नहीं थे पैसे

श्रीधन्या के मेन्स पास करने के बाद भी चुनौतियां बरकरार रहीं। उनके पास अपने इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाने के लिए पैसे की कमी थी, लेकिन उनके दोस्त उनके सपोर्ट में खड़े थे।

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दोस्तों ने 40,000 रुपये जमा कर दिये

आईएएस अधिकारी बनने के उनके लक्ष्य के करीब जाने में मदद करने के लिए दोस्तों ने सामूहिक रूप से उनके लिए 40,000 रुपये जमा किये।

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केरल की पहली आदिवासी महिला आईएएस अधिकारी बनी

जिसके बाद उन्होंने न केवल इंटरव्यू में सफलता हासिल की, बल्कि वह केरल की पहली आदिवासी महिला आईएएस अधिकारी भी बन गईं।

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