गुजरात के चोरवाड़ गांव में मुकेश अंबानी का पुश्तैनी मकान है। दुनिया के सबसे टॉप बिजनेसमैन में से एक के पिता धीरूभाई अंबानी और मां कोकिलाबेन ने यहीं से अपनी जर्नी शुरू की थी।
चोरवाड़ गांव के इसी मकान में मुकेश अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी का बचपन बीता था, जो अब करीब सौ साल पुराना हो चुका है।
धीरूभाई अंबानी इसी चोरवाड़ गांव के मकान से अपने पॉकेट में सिर्फ 500 रुपये लेकर निकले थे और जब वापस आए तो भारत ही नहीं दुनिया के सबसे सफल कारोबारी बन चुके थे।
धीरूभाई अंबानी जामनगर से कोकिलाबेन को विदा कराके इसी चोरवाड़ गांव के पुश्तैनी मकान लाए थे। फिर यहां से कारोबार करने के लिए धीरूभाई अंबानी अेकेल यमन के अदेन शहर चले गए।
धीरूभाई अंबानी के यमन जाने के बाद कोकिलाबेन ने इसी मकान में करीब 8 साल गुजारे। धीरूभाई अंबानी ने पहली कार काले रंग की खरीदी थी। कोकिलाबेन अदेन पहुंची थी, तो उसी कार से लेने आए थे।
कोकिला बेन ने पति के निधन के बाद उनकी याद में गुजरात के चोरवाड़ा गांव स्थित सौ साल पुराने पुश्तैनी मकान को मेमोरियल बना दिया। उसका नाम धीरूभाई अंबानी मेमोरियल रखा गया।
धीरूभाई अंबानी मेमोरियल में विजिट करके कोई भी व्यक्ति अंबानी परिवार के इतिहास की जानकारी ले सकता है। इस मकान से गुजरात की स्थापत्य कला की भी जानकारी मिलती है।
मुकेश अंबानी के इस भव्य पुश्तैनी मकान में कमरे, अतिथि कक्ष, रसोई घर, बरामदे बने हैं। साथ ही पुराने जमाने की फर्नीचर भी इस घर में मौजूद है।
इस घर के एक हिस्से को अंबानी परिवार ने आज भी अपने पास रखा हुआ है। आज भी कोकिलाबेन अंबानी यहां आती हैं और रहती हैं।