विक्रमादित्य वैदिक घड़ी उज्जैन में जंतर-मंतर के भीतर सरकारी जीवाजी वेधशाला के निकट 85 फुट ऊंचे टॉवर पर लगी हुई है।
यह दुनिया की पहली घड़ी है जिसमें भारतीय समय की गणना प्रदर्शित की जा रही है। उज्जैन को समय गणना का केंद्र माना गया है क्योंकि कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है।
यह घड़ी वैदिक हिंदू पंचांग, ग्रहों की स्थिति, मुहूर्त, ज्योतिषीय गणना, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण सहित अन्य चीजों के आधार पर समय की गणना करती है।
वैदिक घड़ी भारतीय मानक समय (आईएसटी) और ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) को भी बताती है। समय की गणना एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक की अवधि पर आधारित होती है।
वैदिक घड़ी में दो सूर्योदयों के बीच की समय अवधि को 30 भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक घंटे में 48 मिनट हैं। इसमें 30 घंटे तक सूर्योदय कार्य का समय है।
हिंदू खगोलीय मान्यता के अनुसार उज्जैन को भारत का केंद्रीय मध्याह्न रेखा माना जाता था।यह देश के समय क्षेत्र और समय के अंतर को निर्धारित करता था। यह हिंदू कैलेंडर में समय का आधार है।
उज्जैन शून्य मेरिडियन और कर्क रेखा के साथ संपर्क के सटीक बिंदु पर स्थित है। 18वीं शताब्दी में जयपुर के सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित भारत की सबसे पुरानी वेधशाला यहीं है।