बीजेपी के मुकेश दलाल ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान होने से पहले ही अपनी लोकसभा सीट जीत ली है। सूरत से मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत दुर्लभ है,लेकिन देश में यह पहला मामला नहीं है।
जहां कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन फॉर्म खारिज कर दिया, वहीं सूरत के अन्य आठ उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया। इस तरह मतदान से पहले ही मुकेश दलाल चुनाव जीत गये।
कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन पत्र भी खारिज कर दिया गया। सूरत लोकसभा सीट पर 7 मई को चुनाव होना था।
भारत के चुनावी मुकाबलों के 7 दशकों में, 30 से अधिक बार ऐसा हुआ है जब प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज होने या मैदान से हटने के बाद किसी उम्मीदवार को वॉकओवर मिला है।
लेटेस्ट में 2012 के लोकसभा उपचुनाव में यूपी के कन्नौज में डिंपल यादव को ऐसी ही जीत मिली थी। 1951 में भारत की स्वतंत्रता के बाद के पहले चुनाव में भी एक उम्मीदवार ऐसे रहे।
डिंपल यादव से पहले आखिरी लोकसभा उम्मीदवार 1989 में निर्विरोध जीते थे। 1951 में स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव में, लगभग 10 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए।
1957 के चुनाव में 11, 1962 और 1967 के चुनावों में क्रमशः 3 और 5, 1971 में एक उम्मीदवार, 1977 में दो सांसद और 1984 में एक अकेला उम्मीदवार बिना वोट डाले जीत गया।
आम चुनाव में वॉकओवर पाने वाले राजनेताओं में पूर्व उप प्रधानमंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री वाई बी चव्हाण, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी शामिल हैं।
टीटी कृष्णामाचारी ने 1962 में तमिलनाडु की तिरुचेंदूर लोकसभा सीट निर्विरोध जीती। ओडिशा के पूर्व CM हरेकृष्ण महताब, लक्षद्वीप के PM सईद और नागालैंड के पूर्व CM SC जमीर भी ऐसे जीते।