बैंकॉक (Bangkok) और म्यांमार (Myanmar) में 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप (Earthquake) ने भारी तबाही मचाई है। जिसमें कई इमारतें ढह गईं और 1934 में बना ऐतिहासिक अवा ब्रिज भी टूट गया है।
अवा ब्रिज म्यांमार का ऐतिहासिक ब्रिज है, जो युद्ध, विरासत और इंजीनियरिंग का गवाह रहा है। जानिए अवा ब्रिज का इतिहास और इसके बारे में रोचक फैक्ट्स।
अवा ब्रिज को 1934 में ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था। यह इरावदी नदी पर बना पहला पुल था, जिसने मंडले को ऐतिहासिक शहर अवा (इनवा) से जोड़ा।
1942 में ब्रिटिश सेना ने खुद इस अवा ब्रिज को ध्वस्त कर दिया था, ताकि जापानी सेना इसे इस्तेमाल न कर सके। बाद में इसे फिर से बनाया गया।
अवा ब्रिज की खासियत इसका मजबूत स्टील ट्रस डिजाइन थी, जो इसे उस समय के सबसे टिकाऊ पुलों में से एक बनाता है।
करीब 1,200 मीटर (3,937 फीट) लंबा, यह अवा ब्रिज कई बड़े खंभों पर टिका था, जो इसे मजबूती प्रदान करते थे।
2008 में यदनबोन ब्रिज बनने से पहले, यह अवा ब्रिज मंडले से इरावदी नदी के पश्चिमी हिस्सों तक पहुंचने का मुख्य जरिया था।
इस ब्रिज का नाम अवा, इनवा के नाम पर रखा गया, जो कभी बर्मा (म्यांमार) की राजधानी हुआ करता था।
सुबह और शाम के समय अवा ब्रिज से दिखने वाला सूर्यास्त और नदी का नजारा देखने लायक होता था, इसलिए यह पर्यटकों के बीच लोकप्रिय था।
पुराना होने के कारण अब अवा ब्रिज सिर्फ स्थानीय यातायात और पैदल यात्रियों के लिए इस्तेमाल होता था। बड़े और भारी वाहनों के लिए नए पुल बनाए गए हैं।
इनवा (अवा) के पुराने मंदिरों, ऐतिहासिक खंडहरों और मठों को देखने जाने वालों को यह पुल वहां तक पहुंचाता था।
लगभग 90 साल पुराना यह पुल, अपनी मजबूती और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता था और मंडले के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक था।