जब एक बच्चे ने नारायण मूर्ति से पूछा, मैं आपके जैसा कैसे बन सकता हूं? तो मूर्ति ने कहा, आपको मेरे जैसा नहीं बनना चाहिए, बल्कि मुझसे बेहतर बनना चाहिए ताकि देश का फायदा हो सके।
नारयण मूर्ति ने अपने अनुभवों से सीखी गई महत्वपूर्ण बातें शेयर की, जो जीवन में सफलता और नेतृत्व के लिए महत्वपूर्ण हैं।
मूर्ति ने बताया कि कैसे एक छोटे घर में बड़े होकर अनुशासन सीखा। उनके पिता ने उन्हें समय का सही उपयोग और हमेशा बेहतर बनने की कोशिश की अहमियत सिखाई, जिससे उनकी पढ़ाई में सफलता मिली।
मूर्ति ने अपनी मां के बारे में बताया, जिन्होंने देने की खुशी सिखाई। उन्होंने अपनी स्कॉलरशिप राशि भाई के साथ शेयर की, जो उन्होंने महाभारत के कर्ण से सीखा था। इसने उदार बनना सिखाया।
मूर्ति ने कहा कि एक जिम्मेदार नागरिक बनना महत्वपूर्ण है। अपने हेडमास्टर से सीखा कि शेयर की गई चीजों का ध्यान रखना और सम्मान करना चाहिए, जिसने इंफोसिस स्थापित करने में मदद की।
मूर्ति ने बताया IIM-अहमदाबाद में एक गलती से महत्वपूर्ण सीख ली। किसी की गलती को नजरअंदाज करना चाहिए और अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। सफलता को टीम के साथ शेयर करना जरूरी है।
पेरिस में काम करते समय मूर्ति ने एक बड़ी गलती की, जिससे कंप्यूटर की पूरी मेमोरी डिलीट हो गई। उन्होंने 24 घंटे में सब कुछ ठीक किया।
मूर्ति के बॉस कॉलिन ने उनकी मेहनत की सराहना की लेकिन अपनी मदद का जिक्र नहीं किया। इससे मूर्ति को नेतृत्व की महत्वपूर्ण सीख मिली।
नारयण मूर्ति ने छात्रों को प्रेरित किया कि वे अपने जीवन में इन सिद्धांतों को अपनाएं और अपनी जिंदगी को बेहतर बनाएं।