एम विश्वेश्वरैया की जयंती मनाने, साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए योगदान को पहचानने के लिए हर साल 15 सितंबर को पूरे भारत में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है।
नेशनल इंजीनियर्स डे समाज में इंजीनियरों के उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करने और दुनिया को आकार देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को समर्पित है।
इंजीनियर्स इनोवेशन, समस्या-समाधान और टेक्नोलॉजी में सबसे आगे हैं, जो देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह दिन हमारे दैनिक जीवन में इंजीनियरिंग के महत्व की याद दिलाता है।
एम विश्वेश्वरैया का जन्म साल 1861 में कर्नाटक के बेंगलुरु से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिक्काबल्लापुर में एक तेलुगु परिवार में हुआ था।
अपनी औपचारिक स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, विश्वेश्वरैया मद्रास विवि में बीए की पढ़ाई करने गए। बाद में उन्होंने पुणे में कॉलेज ऑफ साइंस से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।
एम विश्वेश्वरैया को सिंचाई तकनीक और बाढ़ नियंत्रण में उनके काम के लिए पहचाना गया। विश्वेश्वरैया को 1955 में भारत रत्न पुरस्कार दिया गया।
विश्वेश्वरैया ने बैंगलोर कृषि विवि की स्थापना की। 1917 में कर्नाटक में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, जिसे यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग कहा जाता है।
2023 में नेशनल इंजीनियर्स डे का विषय 'सतत भविष्य के लिए इंजीनियरिंग' है। इंजीनियर जलवायु परिवर्तन, संसाधन की कमी और पर्यावरण जैसे मुद्दों से निपटने में अहम भूमिका निभाते हैं।
इंजीनियर्स डे 2023 थीम इंजीनियरों को ऐसे समाधान बनाने पर फोकस करने के लिए प्रोत्साहित करती है जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों की भलाई की भी रक्षा करते हैं।
इंजीनियरिंग लंबे समय से भारत में सबसे अधिक मांग वाले करियर विकल्पों में से एक रही है। देश में एक मजबूत शिक्षा प्रणाली है जो हर साल काफी संख्या में इंजीनियरिंग स्नातक पैदा करती है।
आईआईटी और एनआईटी जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थान इंजीनियरिंग के कई कोर्स पेश करते हैं। छात्रवृत्ति इंजीनियरिंग शिक्षा को सुलभ बनाती है।