सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 8 जुलाई को कथित पेपर लीक और अन्य कदाचार का हवाला देते हुए NEET-UG 2024 को फिर से आयोजित करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का असर उन 2.3 मिलियन से अधिक कैंडिडेट पर पड़ेगा जिन्होंने परीक्षा दी थी। परीक्षा अधर में लटकी तो इन सभी कैंडिडेट को बड़े मेंटल प्रेशर से गुजरना होगा।
नीट यूजी पुन: परीक्षा का विरोध करने वाली केंद्र सरकार और एनटीए की प्रतिक्रियाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सीजेआई धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 3 न्यायाधीशों की पीठ करेगी।
शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर NEET-UG 2024 के दोबारा आयोजन का विरोध किया है। सरकार ने तर्क दिया है कि ऐसे कदम से शैक्षणिक कैलेंडर बाधित होगा।
शिक्षा मंत्रालय के हलफनामे में कहा गया है, कि अखिल भारतीय परीक्षा में बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के सबूत के अभाव में, पूरी परीक्षा और रिजल्ट रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा।
शिक्षा मंत्रालय का सपोर्ट करते हुए एनईईटी आयोजित करने वाली एनटीए ने भी शीर्ष अदालत में अलग से एक हलफनामा दायर किया। इसमें तर्क दिया गया कि परीक्षा रद्द करना अनप्रोडक्टिव होगा।
परीक्षा रद्द करना नीट यूजी में कदाचार के छोटे, छिटपुट और बिखरे हुए मामले होने के बावजूद मेधावी छात्रों के करियर की संभावनाओं को खतरे में डाल देगा।
एनटीए ने इस बात पर जोर दिया कि विशिष्ट स्थानों पर इन कदाचारों में शामिल पहचाने जाने योग्य व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में परीक्षा रद्द करना सही नहीं होगा।
एनटीए डेटा एनालिसिस के अनुसार कथित कदाचार ने पूरी परीक्षा की पवित्रता को प्रभावित नहीं किया है या उससे उपरोक्त केंद्रों पर उपस्थित होने वाले छात्रों को कोई अनुचित लाभ नहीं हुआ है।