रक्षा बंधन 2024 सोमवार, 19 अगस्त को है। जानिए राखी के पवित्र बंधन की एक ऐसी कहानी है, जो सांप्रदायिक भेदभाव से परे है। हिंदू रानी कर्णवती जिसने मुगल बदाशाह हुमांयू को राखी बांधी।
वह चित्तौड़ की रानी थीं और राणा सांगा की विधवा थीं। उनके शासनकाल में चित्तौड़ पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने हमला कर दिया।
सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर हमला किया, तो कर्णावती को अपने राज्य की सुरक्षा की चिंता हुई। वह जानती थीं कि उनके पास इतनी बड़ी सेना नहीं है कि वह सुल्तान के खिलाफ लड़ हो सके।
रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजने का फैसला किया। उन्होंने हुमायूं को राखी भेजकर उसे अपना भाई माना और उससे सहायता की गुहार लगाई।
राखी भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक होती है। इस रिश्ते में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। रानी कर्णावती ने इसी विश्वास के साथ हुमायूं को राखी भेजी।
हुमायूं ने इस राखी का सम्मान किया और रानी कर्णावती को अपनी बहन मानते हुए उनकी मदद करने का फैसला किया। उसने अपनी सेना के साथ चित्तौड़ की ओर कूच किया।
हुमायूं ने मदद के लिए चित्तौड़ की ओर बढ़ना शुरू किया, लेकिन वह समय पर नहीं पहुंच सका। इस बीच सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया।
चित्तौड़ की महिलाओं ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर (आग में कूदकर आत्महत्या) कर लिया। रानी कर्णावती भी इनमें शामिल थीं।
यह घटना धर्म और संप्रदाय से परे इंसानी मूल्यों, रिश्तों और सम्मान का प्रतीक मानी जाती है। रानी कर्णावती का हुमायूं को राखी भेजना भारतीय इतिहास में भाईचारे और निष्ठा की मिसाल है।