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कितने पढ़े-लिखे एस जयशंकर, जानिए भारतीय विदेश नीति के मास्टरमाइंड को

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एस. जयशंकर का दिल्ली में जन्म

सुब्रह्मण्यम जयशंकर का जन्म दिल्ली में हुआ। उनके पिता, कृष्णास्वामी सुबरमण्यन, एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक मामलों के विश्लेषक और पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे।

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एस. जयशंकर की स्कूली शिक्षा, ग्रेजुएशन डिग्री

उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के एयर फोर्स स्कूल और बैंगलोर मिलिट्री स्कूल से प्राप्त की। फिर दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से कैमेस्ट्री में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

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एस. जयशंकर के पास इंटरनेशनल रिलेशंस में पीएचडी डिग्री

उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से राजनीतिक विज्ञान में एम.ए., एम.फिल. और इंटरनेशनल रिलेशंस में पीएच.डी. की डिग्री हासिल की। उनकी विशेषज्ञता परमाणु कूटनीति में है।

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जयशंकर के कैरियर की शुरुआत

जयशंकर 1977 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए। पहले कार्यकाल में उन्होंने 1979 से 1981 तक सोवियत संघ में भारतीय मिशन में तीसरे सचिव और दूसरे सचिव के रूप में कार्य किये।

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विदेश सचिव बने

जयशंकर ने सिंगापुर में उच्चायुक्त, चेक गणराज्य, चीन और अमेरिका में राजदूत के रूप में भी सेवा दी। 29 जनवरी 2015 को उन्हें भारत का विदेश सचिव नियुक्त किया गया।

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कैबिनेट मंत्री के रूप में जयशंकर

30 मई 2019 को एस जयशंकर ने केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली और 31 मई 2019 को वे विदेश मंत्रालय के मंत्री बने।

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जयशंकर 'पद्म श्री' से सम्मानित

जयशंकर को 2019 में भारत सरकार द्वारा 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया, जो भारतीय कूटनीति में उनके योगदान के लिए चौथा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है।

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एस. जयशंकर की भारतीय विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका

एस. जयशंकर ने भारतीय विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके अनुभव और विशेषज्ञता से भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती मिली है।

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