विमोरोज्का वर्कर्स ऐसी परिस्थितियों में काम करते हैं जिसके बारे में सोचकर ही हममें से अधिकांश कांप जायेंगे। विमोरोज्का वर्कर्स की लाइफ को करीब से जानने के लिए आगे पढ़ें।
विमोरोज्का वर्कर्स जिस स्थितियों में काम करते हैं वहां हवा एक जमी हुई ब्लेड है, जो कपड़ों की परतों को काटती है और मानव सहनशक्ति को चुनौती दे रही है।
विमोरोज्का रूस में एक ऐसी नौकरी है जो मानव सहनशक्ति की सीमाओं की परीक्षा लेती है। साइबेरियन टाइम्स के अनुसार श्रमिक काम करने के लिए -50 डिग्री तक नीचे तापमान का सामना करते हैं।
ये प्रोफेशनल्स साल में लगभग चार से छह महीने ऐसी चरम स्थितियों में काम करते हैं। उनके कार्यस्थल साइबेरिया के बर्फीले विस्तार,नॉर्वे के जमे हुए मैदानों, कनाडा के टुंड्रा तक फैले हैं।
विमोरोज्का की प्रक्रिया जिसका मोटे तौर पर अनुवाद 'फ्रीजिग आउट' होता है, एक कठिन काम है जिसमें दुनिया की कुछ सबसे कठोर परिस्थितियों में काम करने में कई सप्ताह लग जाते हैं।
विमोरोज्का मजदूर जहाजों के जमे हुए बाहरी हिस्सों को काटते हैं, कार्य के लिए न केवल सहनशक्ति और ताकत की आवश्यकता होती है, बल्कि अत्यधिक सटीकता की भी आवश्यकता होती है।
हर शरद ऋतु में 130 जहाज शक्तिशाली लीना नदी पर झटे बंदरगाह की ओर बढ़ते हैं, जो रूस की आर्कटिक नदियों में दूसरी सबसे बड़ी नदी है।
नवंबर के अंत तक वे ठोस रूप से जम जाते हैं और श्रमिकों की एक टीम विमोरोज्का शुरू करती है - साइबेरिया के लिए अद्वितीय मरम्मत कार्य जो केवल ठंड के चरम पर ही किया जा सकता है।
ऐसा काम जो दुनिया में कहीं और नहीं होता। झाटे डॉकयार्ड 1943 में बनाया गया था और तब से जहाजों को फ्रीज करके उनकी मरम्मत की जा रही है।
इसमें कर्मचारी प्रति सीजन में लगभग 7,000 क्यूबिक मीटर बर्फ काटते हैं। तीन से चार महीने की कड़ी मेहनत के लिए प्रति व्यक्ति लगभग 400,000 रूबल यानी 3,58,941.73 रुपये मिलते हैं।
एक अनुभवी कर्मचारी एक सीजन में अधिकतम चार जहाज तैयार कर सकता है।