ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान देश की पहली ट्रांसजेंडर सिविल सर्वेंट हैं। यहां तक का सफर उनके लिए काफी मुश्किलों भरा रहा है।
ऐश्वर्या के सामने कई चुनौतियां आई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। स्कूल में टीचर्स ने उनकी बेइज्जती की और कॉलेज के हॉस्टल में उनका यौन शोषण हुआ था।
ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान संघर्षों के बावजूद खुद को हारा नहीं माना। मेंटल ट्रामा से खुद को बाहर निकाला और देश की पहली ट्रांसजेंडर सिविल सर्वेंट बनीं।
ओडिशा के कंधमाल के कतिबागेरी गांव की ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान ने 6वीं क्लास से खुद को एक महिला की तरह ट्रीट करना शुरू किया था।
जब ऋतुपर्णा प्रधान स्कूल में थीं, तब सेक्सुअल ओरिएंटेशन के चलते एक टीचर ने उनकी खूब बेइज्जती की थी। क्लास में बुरा बर्ताव किया जाता था।
हर तरह से दुर्व्यवहार सहते हुए उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की और ग्रेजुएशन के लिए IIMC में एडमिशन लिया और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में पीजी भी किया।
साल 2010 में ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान ने बतौर एक पुरुष कैंडिडेट ओडिशा की राज्य सिविल सेवा परीक्षा पास की और देश की पहली ट्रांसजेंडर सिविल सर्वेंट बनीं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में जब ट्रांसजेंडर को तीसरे जेंडर के रूप में मान्यता दी, तब उन्होंने जेंडर पुरुष से महिला में बदला और अपना नाम रखा ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान।