सिल्क्यारा सुरंग में 17 दिनों का बचाव अभियान बुधवार को सफलतापूर्वक समाप्त हुआ और सभी फंसे हुए 41 कर्मचारी बाहर स्वस्थ निकले। बचावकर्मी कड़ी मेहनत और धैर्य के लिए सुर्खियों में थे।
पीएम मोदी ने अपने संदेश में बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को सलाम किया और कहा कि मिशन में शामिल सभी लोगों ने मानवता और टीम वर्क का अद्भुत उदाहरण पेश किया।
कई सरकारी एजेंसियां अपने विशाल बलों के साथ उत्तराखंड सुरंग के इलाके में 24X7 तैनात थीं। टनल में फंसे श्रमिकों तक सबसे पहले पहुंचने वाले मुन्ना कुरैशी इस ऑपरेशन के हीरो बन गये।
मुन्ना कुरेशी 29 वर्षीय रैट होल खनिक है जो दिल्ली की एक कंपनी में काम करते हैं। यह एक ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सेवा कंपनी है जो सीवर और पानी की लाइनों को साफ करती है।
वह उन दर्जनों रैट-होल खनिकों में से एक थे जिन्हें आखिरी 12 मीटर मलबा हटाने के लिए उत्तराखंड लाया गया था।
अमेरिका निर्मित बरमा मशीन के खराब हो जाने के बाद सुरंग से श्रमिको को निकाले जाने के लिए रैट-होल खनिक बचाव अभियान का अंतिम सहारा थे।
रैट-होल खनन छोटे-छोटे गड्ढे खोदकर कोयला निकालने की एक विधि है लेकिन अवैज्ञानिक होने के कारण 2014 में इसे कोयला निकालने की विधि के रूप में प्रतिबंधित कर दिया गया था।
मुन्ना कुरेशी ने मंगलवार शाम को आखिरी चट्टान हटाई और 41 फंसे हुए श्रमिकों को देखा। मुन्ना क़ुरैशी ने कहा, श्रमिकों ने मुझे गले लगाया, तालियां बजाईं और मुझे बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।
मोनू कुमार, वकील खान, फिरो, परसादी लोधी और विपिन राजौत अन्य खनिक थे जो अपने कठिन ऑपरेशन के बाद फंसे हुए लोगों तक पहुंचे।