डॉ. विकास दिव्यकीर्ति, जो दिल्ली में UPSC सिविल सेवाओं की परीक्षा के लिए कोचिंग देते हैं, लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
उनके कोर्स और पढ़ाने के तरीके ने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया है। वे केवल एक शिक्षक नहीं बल्कि एक प्रेरक वक्ता, लेखक और समाज के प्रति अपने विचार शेयर करने वाले व्यक्ति भी हैं।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का कहना है कि "दिव्यकीर्ति" वास्तव में उनका सरनेम नहीं है, बल्कि दिलचस्प इतिहास है। उनका परिवार जातिवाद को नहीं मानता है और इसी कारण उन्हें यह सरनेम दिया गया।
विकास दिव्यकीर्ति का परिवार Arya Samaj को मानता है, जातिवाद के खिलाफ है। उनके पिता जो एक लेखक थे, ने यह निर्णय लिया था कि वे अपने बच्चों को जाति आधारित नाम नहीं देंगे।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने खुलासा किया कि उनका असली सरनेम चक्रवर्ती था। लेकिन जब उन्हें पता चला कि चक्रवर्ती बंगाल में एक जाति का सरनेम है, तो उन्होंने इसे बदलकर दिव्यकीर्ति रख लिया।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति का कहना है कि उनके सरनेम के बदलाव के पीछे उनके माता-पिता की पढ़ाई और साहित्य के प्रति गहरी रुचि है।
यह बदलाव उनकी जातिवाद के खिलाफ की गई कोशिशों और उनके परिवार की आधुनिक सोच को दिखाता है।