चीन में हो रहे एशियन गेम्स 2023 में 7 अक्टूबर को भारतीय तीरंदाज ज्योति वेन्नम ने गोल्ड जीता। उन्होंने यह पदक महिला कंपाउंड फाइनल जीतकर लिया। इस एडिशन में यह उनका तीसरा गोल्ड है।
27 वर्षीय भारतीय तीरंदाज ने पहले ही अपने करियर में विश्व कप, एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की हैं।
वह विश्व चैंपियनशिप में कंपाउंड महिला टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय तीरंदाज हैं।
2008 बीजिंग ओलंपिक में भारतीय तीरंदाज डोला बनर्जी के प्रदर्शन से प्रेरित होकर 11 साल की उम्र में ज्योति वेन्नम ने अपनी तीरंदाजी जर्नी शुरू की थी।
ज्योति सुरेखा वेन्नम का जन्म 3 जुलाई, 1996 को हैदराबाद में हुआ। पिता वेन्नम सुरेंद्रन कुमार एक कबड्डी खिलाड़ी थे बाद में पशु चिकित्सक बने और मां श्री दुर्गा एक गृहिणी हैं।
ज्योति सुरेखा वेन्नम ने अपनी स्कूली शिक्षा और इंटरमीडिएट की शिक्षा नालंदा इंस्टीट्यूट से पूरी की। अपने पिता के सहयोग से 2007 में तीरंदाजी में उनकी यात्रा शुरू हुई।
पिता के मार्गदर्शन में ज्योति वेन्नम तेजी से एक जूनियर तीरंदाज के रूप में उभरीं और कम उम्र में विश्व चैम्पियनशिप और एशियाई चैम्पियनशिप में जीत हासिल की।
एक तैराक भी रही ज्योति ने बाद में तीरंदाजी पर फोकस किया। अंतर्राष्ट्रीय यात्रा 2011 में शुरू हुई और 13 साल की उम्र तक उन्होंने मैक्सिकन ग्रां प्री में पहले ही पांच पदक जीत लिए थे।
उन्होंने विजयवाड़ा में वोल्गा तीरंदाजी अकादमी में लगन से ट्रेनिंग ली और 16 साल की उम्र में सब-जूनियर और जूनियर राष्ट्रीय चैंपियन के रूप में सफलता हासिल की।
चार साल की उम्र में ज्योति ने कृष्णा नदी को तीन घंटे, बीस मिनट और छह सेकंड में तीन बार तैरकर पार किया और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया।
ज्योति तीरंदाजी को एक महंगा खेल मानती है। लेकिन उनके पिता ने उन्हें पैसों की चिंता किए बिना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने पर खेल पर फोकस करने के लिए प्रोत्साहित किया।
ज्योति वेन्नम को तीरंदाजी के अलावा किताबें पढ़ना और संगीत सुनना पसंद है। आंध्र प्रदेश में एक स्टेडियम स्टैंड का नाम उनके नाम पर रखा गया है।
2017 में ज्योति सुरेखा वेन्नम को मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें एक करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार मिला था।
वह दक्षिण भारत में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति हैं और आंध्र प्रदेश राज्य सेपरेशन के बाद इसे प्राप्त करने वाली पहली एथलीट हैं।