सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) पर गलत जानकारी फैलाने वाली अमेरिकी नेता क्षमा सावंत अब भारत सरकार पर "बदले की राजनीति" करने का आरोप लगा रही हैं।
क्षमा सावंत दावा कर रही हैं कि मोदी सरकार ने तीन बार उनका वीजा खारिज कर दिया, जिससे वह अपनी बीमार मां से मिलने भारत नहीं जा पा रही हैं।
क्षमा सावंत (51) एक भारतीय मूल की अमेरिकी अर्थशास्त्री और पूर्व सिएटल सिटी काउंसिल सदस्य हैं। उनका जन्म पुणे में हुआ था और उन्होंने मुंबई में पढ़ाई की।
क्षमा सावंत के पिता एक सिविल इंजीनियर थे, जिनका निधन तब हुआ जब वह 13 साल की थीं।
क्षमा सावंत ने 1994 में मुंबई यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया। फिर वह अमेरिका चली गईं 2003 में नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी पूरी की।
सिएटल में वह प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाने लगीं और 2006 में सोशलिस्ट अल्टरनेटिव नाम की पार्टी से जुड़ गईं। 2013 में वह सिएटल सिटी काउंसिल में चुनी गईं।
क्षमा सावंत ने 2023 में रेवोल्यूशनरी वर्कर्स पार्टी नाम की अपनी पार्टी बना ली।
क्षमा सावंत का भारत विरोधी रुख नया नहीं है। उन्होंने 2020 में सिएटल सिटी काउंसिल में एक प्रस्ताव पास कराया था, जिसमें सीएए और एनआरसी को भेदभावपूर्ण बताया गया था।
जबकि सच्चाई यह है कि सीएए का भारत के नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है। यह कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए बना था।
अब क्षमा सावंत का दावा है भारत सरकार ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर मोदी सरकार पर निशाना साधा, कहा कि उन्हें बीमार मां से मिलने नहीं दिया जा रहा।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर "मुस्लिम विरोधी" और "श्रमिक विरोधी" होने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ एक याचिका भी चलाई।
वहीं, 2022 में उन्हें भारत का वीजा दिया गया था और उन्होंने अपनी मां से मुलाकात की थी। अगर भारत सरकार सच में उनके खिलाफ बदले की राजनीति कर रही होती, तो उन्हें तब भी वीजा नहीं मिलता।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, उनके इस बार के आपातकालीन वीजा आवेदन पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। वीजा देना हर देश का संप्रभु अधिकार है।