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देश की सबसे विवादित फिल्म, पूर्व PM के बेटे ने जलाए प्रिंट, हुई जेल

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कंगना रनौत ने किया इमरजेंसी का डायरेक्शन

कंगना रनौत की इमरजेंसी की रिलीज की डेट का कभी भी ऐलान किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस मूवी में आपातकाल के हालातों को दिखाया गया है।

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इमरजेंसी बद से बदतर थे हालात

आपातकाल के समय हालात इतने खराब थे कि फिल्मों के किसी सीन में सरकार या उसकी नीतियों के खिलाफ कंटेट नहीं दिखाया जा सकता था।

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नेताओं की कहानी कहती मूवी 'किस्सा कुर्सी का'

किस्सा कुर्सी का अमित नाहटा के डायरेक्शन में बनी एक पॉलिटिकल मूवी थी। जो आपातकाल के समय बनी थी, इसमें नेताओं पर तीखा तंज कसा था।

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किस्सा कुर्सी का फिल्म की स्टार कास्ट

किस्सा कुर्सी का मूवी में शबाना आज़मी, उत्पल दत्त, रेहाना सुल्तान, सुरेखा सीकरी और राज किरण जैसे बड़े एक्टर शामिल थे।

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किस्सा कुर्सी का में नेताओं पर तंज

फिल्म में एक भ्रष्ट और दुष्ट पॉलीटीशियन का आम लोगों पर अत्याचार दिखाया गया था। मूवी में नेताओं के आचरण पर तीखा प्रहार किया गया था।

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सेंसर बोर्ड ने लगाई रिलीज़ पर रोक

फिल्म को अप्रैल 1975 में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के समक्ष पेश किया गया था। सेंसर बोर्ड ने इस पर आपत्ति जताते हुए रिलीज़ पर रोक लगा दी थी।

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किस्सा कुर्सी का मूवी पर आपत्ति

Kissa Kursi Ka में सबसे बड़ा ऑब्जेक्शन था कि फिल्म में पूर्व PM दिवंगत इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के साथ स्वामी धीरेंद्र ब्रह्मचारी, रुखसाना सुल्ताना पर मज़ाक बनाया गया था।

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फिल्म किस्सा कुर्सी का की रोकी गई रिलीज़

फिल्म सेंसर बोर्ड ऑफिस में सर्टिफिकेट के लिए पहुंची थी। इस दौरान इमरजेंसी का ऐलान कर दिया गया था। इसके बाद इस मूवी को लेकर सरकारी नुमाइंदे मुखर हो गए थे।

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सेंसर बोर्ड ऑफिस से गायब हुए फिल्म के प्रिंट

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी और उनके सपोर्टस ने सीबीएफसी के ऑफिस से फिल्म के सभी प्रिंट अपने कब्जे में ले लिए थे।

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संजय गांधी के सपोर्टस ने जलाए फिल्म के प्रिंट

मीडिया के हवाले से ये भी कहा गया कि किस्सा कुर्सी का फिल्म के सभी प्रिंट को कथित तौर पर गुड़गांव की मारुति फैक्ट्री में जलाया गया था।

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फिल्म मेकर ने दर्ज कराई शिकायत

आपातकाल हटने के बाद जब इंदिरा गांधी सत्ता से बेदखल हुई तो किस्सा कुर्सी का मूवी के मेकर ने शिकायत दर्ज कराई थी।

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संजय गांधी को सुनाई गई सज़ा

शाह आयोग की रिपोर्ट में संजय गांधी को फिल्म के प्रिंट नष्ट करने का आरोपी बताया गया था। 1978 में शुरू हुए कानूनी मामला संजय गांधी को छह साल की जेल की सजा के साथ समाप्त हुआ था।

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अपर कोर्ट ने पलटा फैसला

किस्सा कुर्सी का फिल्म के इस मामले में संजय गांधी ने अपनी सज़ा के खिलाफ अपील की थी, अपर कोर्ट ने फैसले को पलट दिया था ।

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