शाहरुख़ खान फिल्म में अपने किरदार को सही तरीके से निभाने में चूक गए हैं। पंजाबी हार्डी के लिए उन्होंने आवाज़ बदलने की कोशिश की है, जो एकदम बनावटी लगती है।
शाहरुख़ खान की एक्टिंग बेहद कमजोर है। फिल्म में वे 'पठान' और 'जवान' जैसी छाप नहीं छोड़ पाए हैं। कई जगह उनकी एक्टिंग ओवर लगती है।
तापसी पन्नू पंजाबी कुड़ी मन्नू बनी हैं। खास बात यह है कि वे असल में भी पंजाबी हैं। बावजूद इसके वे मन्नू के रोल में फीकी लगी हैं। उन्होंने फिल्म में बेहद ओवरएक्टिंग की है।
बोमन ईरानी राजकुमार हिरानी की फिल्मों की जान होते हैं। मुन्नाभाई फ्रेंचाइजी और 3 इडियट्स में उनकी अदाकारी अलग लेवल की थी। लेकिन 'डंकी' में उनका किरदार काफी फीका दिखता है।
'डंकी' में पंचलाइन की कमी है। फिल्म में ऐसा कोई भी डायलॉग नहीं है, जिस पर थिएटर में सीटियों और तालियों का शोर सुनाई दे।
'डंकी' में राजकुमार हिरानी का डायरेक्शन उनकी पिछली फिल्मों के मुकाबले कमज़ोर है। उनकी फ़िल्में देखकर लोग पेट पकड़कर हंसने को मजबूर होते हैं। लेकिन 'डंकी' कई जगह बोर करती है।
फिल्म का फर्स्ट हाफ अपेक्षाकृत ठीकठाक है। लेकिन सेकंड हाफ जबर्दस्ती खींचा हुआ लगता है। किरदारों के लंदन से भारत लौटने की सीक्वेंस और बेहतर की जा सकती थी।
'डंकी' का म्यूजिक भी उतना खास नहीं है, जितना राजकुमार हिरानी की पिछली फिल्मों में रहा है। ऐसा एक भी गाना नहीं है, जिसे दर्शक थिएटर से निकलते हुए गुनगुनाते नजर आएं।