और शांति की रक्षा के लिए हम क्या कर सकते हैं...दुनिया अब ये देखेगी।
पाकिस्तान का हर शहर, गांव, कस्बा, एक-एक इंच जमीन पर कब्ज़ा कर लें। मगर हमारे संस्कार, हमारे मूल्य इस बात की अनुमति नहीं देते। इतनी छोटी सोच नहीं है हमारी।
यह बताने के लिए कि ये देश हमारा है, यदि बलिदान देना पड़े तो ये कैसा लोकतंत्र है?
तो मैं इस पद को ग्रहण करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हूं।
और आदत तो दूसरों को डालनी पड़ेगी अटल बिहारी वाजपेयी को गिराकर दोबारा खड़े होते देखने की।
हमें आज ज़रा भी दुःख नहीं है कि एक वोट से हमारी सरकार गिर गई। क्योंकि सत्ता का सहवास और विपक्ष का वनवास दोनों समान हैं हमारे लिए।
सरकारें आएंगी, जाएंगी। पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी...पर देश रहना चाहिए। इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए।
कि भूल जाते हैं कि यह विश्व भी एक परिवार जैसा है। वसुधैव कुटुंबकम भारत की प्राचीन प्रेरणा है, जिस पर विश्वास है।