अभिनेता रणदीप हुड्डा ने एक बातचीत के दौरान चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनकी मानें तो उनकी लाइफ में एक दौर ऐसा आया था, जब आर्थिक संकट से जूझ रहे थे।
रणदीप हुड्डा ने ह्युमन ऑफ़ बॉम्बे से बातचीत में अपने बुरे दौर के बारे में बात की। उन्होंने कहा, "बीते 23 सालों में 11 साल ऐसे थे, जब मैं सेट पर नहीं गया।"
बकौल रणदीप हुड्डा, "कई बार मेरे पास पैसा नहीं होता था और मैं नहीं जानता था कि मैं आगे क्या करने वाला हूं। मैंने अपने घर की हर चीज़ बेच दी थी।"
रणदीप हुड्डा कहते हैं, "मैंने कार, माइकोवेब सब कुछ बेच दिया। लेकिन अपने घोड़े कभी नहीं बेचे। एक अरबी कहावत है- अपनी तनख्वाह बढ़ाओ, खर्चा कम करने से कुछ नहीं होगा।"
बकौल रणदीप, "एक बार मैंने अपना घोड़ा रणजी कुछ पैसों के लिए बेच दिया था। मैंने इसे वापस नहीं ले सका। मैंने चैक लौटा दिया और अपना घोड़ा वापस ले लिया।"
रणदीप ने कहा, "बैटल ऑफ़ सारागढ़ी के लिए मैंने पूरी सीख दाढ़ी बढ़ाई थी। गतका की तैयारी की थी, लेकिन फिल्म पूरी नहीं हुई। यह मेरी जिंदगी का सबसे लो फेज था और मैंने बेहद डिप्रेशन में था।"
रणदीप कहते हैं, "ऐसा लगा जैसे मेरी आधी जिंदगी कट गई, क्योंकि मुझे इसे छोड़ना पड़ा। मैंने एक्सट्रैक्शन लगभग छोड़ दिया था। लेकिन मैं गुरुद्वारा गया और क्षमा याचना की।"
रणदीप ने आगे कहा, "मैंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में गुरुग्रन्थ साहिब की कसम खाई थी कि सिखों ने इतने बलिदान किए हैं। इसलिए जब तक फिल्म पूरी नहीं हो जाती, अपने केश नहीं कटवाऊंगा।"
रणदीप के मुताबिक़, उन्होंने मूव ऑन किया। वे कहते हैं, "इसके (बैटल ऑफ़ सारागढ़ी) बाद 3 साल तक मेरे पास काम नहीं था। मेरा वजन बढ़ गया था। इसलिए मैंने एक वक्त पर एक ही स्टेप को सही समझा।"
रणदीप हुड्डा ने यह भी बताया कि जब उनके पास काम नहीं था तो उनके पैरेंट्स चिंता में पड़ गए थे। उन्होंने उनसे फिर कभी ऐसा ना करने का वादा लिया था।