फिल्म के आखिर में प्रेमिका की मौत हो जाती है और प्रेमी को उसकी कब्र के सामने अकेला खड़ा बताया गया है। पूरी कहानी देखेंगे तो रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
फिल्म के क्लाइमैक्स में एक पत्नी है, जो आतंकवादी पति को छोड़ किसी और से प्यार करने लगती है। अंत में महिला की राख उसी जंगल में बिखेर दी जाती है, जहां उसके प्रेमी की मौत होती है।
फिल्म में राहुल आरोही को सिंगर को बनाता है, जबकि उसका खुद का करियर डूब चुका है। बाद में जब उसे लगता है कि वह आरोही पर बोझ बन गया तो ख़ुदकुशी कर लेता है।
कहानी अलग-अलग धर्म के जोया और परमा की है, जो एक-दूसरे से प्यार करते हैं और अंत में समाज और राजनीति से परेशान होकर एक-दूसरे को गोली मार कर एक-दूसरे की बांहों में दम तोड़ते हैं।
फिल्म में देवदास पारो यानी पार्वती से प्यार करता है, जिसकी शादी कहीं और हो जाती है। अंत में नशे में डूबा देवदास पारो के ससुराल में जाकर उसके घर के आगे दम तोड़ता है।
गुंडा राधे निर्जरा से प्यार करता है। वह सुधरकर निर्जरा को पाना चाहता है, लेकिन उसे पता चलता है कि उसकी मौत हो चुकी है। यह जानकर वह पागल हो जाता है और उसे पागलखाने भेज दिया जाता है।
राम-लीला एक-दूसरे से प्यार करते हैं। लेकिन दोनों के परिवारों में दुश्मनी है और उन्हें भी एक-दूसरे के खिलाफ लड़ना पड़ता है।ग़लतफ़हमी में दोनों एक-दूसरे को मार देते हैं।
फिल्म में नीची जाति का लड़का ऊंची जाति की लड़की से प्यार करता है। दोनों भागकर शादी कर लेते हैं, पैरेंट्स बन जाते हैं। अंत में लड़की के भाई लड़के और उसके बच्चे को मार डालते हैं।
श्मशान में काम करने वाला दीपक है ऊंची जाति की शालू से प्यार करने लगता है। अंत में शालू रोड एक्सीडेंट में मेर जाती है और उसे उसकी श्मशान में जलाया जाता है, जहां दीपक काम करता है।
फिल्म में कुंदन है, जो बचपन से ही जोया को प्यार करता है। लेकिन बड़े होकर जोया जसजीत से प्यार करने लगती है। जसजीत का मर्डर होता है और फिर अंत में कुंदन भी मर जाता है।
ओमकारा पत्नी डॉली पर बेवफा होने का शक करता है और उसका गला घोंट देता है। जब उसे असलियत पता चलती है तो वह खुद भी उसी कमरे में ख़ुदकुशी कर लेता है।
पद्मावती को पाने की चाहत में अलाउद्दीन खिलजी उनके पति महारावल रतन सिंह की हत्या कर देता है। अपनी आबरू बचाने पद्मावती महल की सभी रानियों और अन्य महिलाओं के साथ जौहर कर लेती हैं।