जब पश्चिमी संगीत का जादू सिर चढ़कर बोल रहा था तो मुंबई से निकला एक युवा तबला की धुन से दुनिया को मोहित कर ग्लोबल आइकन बन गया। दुनिया उसे उस्ताद जाकिर हुसैन के नाम से जानती है।
पूरे करियर के दौरान 5 ग्रैमी अवार्ड विनर उस्ताद जाकिर हुसैन ने 66वें ग्रैमी में एक ही रात 3 ग्रैमी अवार्ड जीत इतिहास रच दिया था।
उस्ताद को दुनिया के महानतम संगीतज्ञों के साथ परफार्म करने का मौका मिल चुका है।
ग्रेटफुल ड्रमर मिकी हार्ट के साथ 1992 के उनके प्लैनेट ड्रम ने ग्रैमी पुरस्कार जीता। इससे शास्त्रीय संगीत ग्लोबल दर्शकों तक पहुंचा।
उस्ताद जाकिर हुसैन का 1973 का फ्यूजन प्रोजेक्ट अभूतपूर्व रहा। यह अंग्रेजी गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल शंकर और तालवादक टी.एच. 'विक्कू' विनायकराम के साथ था।
उस्ताद ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को जैज़ के साथ मिला दिया, एक अनूठी ध्वनि पैदा हुई जो पहले कभी नहीं सुनी गई। पश्चिमी संगीतकारों के साथ मिलकर फ्यूजन और इम्प्रोवाइजेशन पर काम किया।
उस्ताद जाकिर हुसैन को 1988 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री मिला तो 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण सम्मान।
जाकिर हुसैन को यूएस के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में ऑल-स्टार ग्लोबल कंसर्ट में परफार्म करने के लिए स्पेशल इनवाइट भेजा था।
73 वर्षीय जाकिर हुसैन का निधन रविवार को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में हुआ। वह हृदय संबंधी परेशानियों से दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन पर संगीत जगत स्तब्ध है।