उसके लिए हमारा ह्रृदय कोरोना (करुणा) से भर आया है।
कोरोना नहीं मामाजी, करुणा...करुणा...
खेल आज भी वही है, बस मोहरे बदल गए हैं...
…ये मैसेज पूरे पूर्वांचल में गूंजना चाहिए।
....अब किसी को कुछ नहीं मिलेगा...
..हम वो करवाएंगे,जो पूर्वांचल के इतिहास में आज तक नहीं हुआ।