कृषि से जुड़ा पंजाबियों का एक प्रमुख त्योहार बैसाखी पूरे भारत में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसे सिख नववर्ष भी कहते हैं, जो इस बार 13 अप्रैल 2024, शनिवार के दिन मनाया जाएगा।
अप्रैल में रबी की फसल तैयार हो जाती है, कटाई शुरू होने से पहले बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। कहते हैं कि इसी दिन सिख पंथ के 10वें गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा की स्थापना की थी।
बैसाखी सिर्फ खेती किसानी से जुड़ा त्योहार ही नहीं है, बल्कि पंजाबियों के घर में इस दिन ढोल नगाड़े बजाते हैं, तरह-तरह की व्यंजन बनाए जाते हैं।
जी हां, बैसाखी का त्योहार कढ़ी चावल के बिना अधूरा है। बैसाखी के दिन घर में कढ़ी पकोड़ा और चावल बनाए जाते हैं। इस दिन खास लौकी और बेसन के पकोड़े बनाए जाते हैं।
बैसाखी के मौके पर गेहूं की खीर जरूर बनाई जाती है, क्योंकि इस समय नया गेहूं होता है और गेहूं काटने के बाद इससे सबसे पहले गेहूं की खीर बनाकर अपने गुरु को अर्पित की जाती है।
कोई भी पंजाबी त्योहार कड़ा प्रसाद के बिना अधूरा माना जाता है। बैसाखी पर भी घरों में आटे, घी और चीनी से कड़ा प्रसाद बनाया जाता है। खासकर नए गेहूं को पीसकर आटा तैयार किया जाता है।
बैसाखी के मौके पर शक्कर पारे बनाने का भी विशेष महत्व होता है। इसे मैदा से तैयार कर देसी घी में तला जाता है और शक्कर की चाशनी में पारा जाता है।
पिन्नी यानी कि लड्डू भी बैसाखी के मौके पर जरूर बनाए जाते हैं। इसे ढेर सारे ड्राई फ्रूट्स, आटा और गुड़ या चीनी डालकर बनाया जाता है और घर आए मेहमानों को जरूर खिलाया जाता है।