इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर से नहाए खाए के साथ हो जाएगी। इसके बाद 6 नवंबर को खरना, 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य और 8 नवंबर को उषा अर्घ्य देना है।
छठ पूजा की शुरुआत नहाए खाए से होती है। इस दिन किसी नदी या तलाब में महिलाएं स्नान करती हैं। इसके बाद चावल, चना दाल और लौकी की सब्जी बनाकर शुद्ध और सात्विक भोजन करती हैं।
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है। इस दिन आम की लकड़ी जलाकर चूल्हे पर चावल और गुड़ की खीर बनाई जाती है। छठी मैया को भोग लगाकर इसका सेवन किया जाता है और फिर व्रत की शुरुआत होती है।
छठ पूजा में बांस के सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू और ठेकुआ जरूर रखा जाता है। यह ठेकुआ आटा और गुड़ से बनाया जाता है।
छठ पूजा के दौरान चावल के आटे को घी में भूनकर ढेर सारे ड्राई फ्रूट्स डालकर चावल के लड्डू भी बनाए जाते हैं। चीनी की जगह गुड का भी प्रयोग किया जा सकता है।
मालपुआ एक ट्रेडिशनल रेसिपी है जिसे आटे का घोल बनाकर घी या तेल में तला जाता है, फिर चीनी की चाशनी में डुबोकर इसे भोग स्वरूप चढ़ाया जाता है।
छठ पूजा के दौरान व्रत करने वाली महिलाएं एक समय सात्विक आहार लेती हैं। इस दौरान हरे चने को तलकर खाया जाता है।