यूरिक एसिड बढ़ने पर मसूर की दाल खाने से मना किया जाता है। प्यूरीन की मात्रा इसमें अधिक होती है। हालांकि प्रोटीन और फाइबर का इसमें अच्छा सोर्स मिलता है।
चने की दाल में प्यूरीन की बहुत ज्यादा मात्रा तो नहीं होती,लेकिन यूरिक एसिड बढ़ने पर स्थिति इसे खाने से खराब हो सकती है। इसलिए कम मात्रा में सेवन की सलाह दी जाती है।
गाउट से पीड़ित है तो काली उड़द दाल को भी खाने से मना किया जाता है। क्योंकि इसमें भी प्यूरीन की मात्रा पाई जाती है।
सेम फली में भी प्यूरीन की मात्रा मध्यम से उच्च होती है, और गठिया से पीड़ित या उच्च यूरिक एसिड स्तर से ग्रस्त लोगों के लिए सही नहीं होता है।
राजमा में प्यूरीन की मात्रा अधिक मानी जाती है। यदि यूरिक एसिड का लेबल ज्यादा है तो राजमा खाने की मात्रा को करने की सलाह दी जाती है।
ब्लैक आइड पीज में भी प्यूरीन की मात्रा ज्यादा होती है। बता दें कि इन दालों की जगह पर हरे मटर, सोयाबीन और टोफू को डाइट में शामिल कर सकते हैं।